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पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के जन्म की कहानी
हाथी की घटना के वर्ष ही, सोमवार के दिन, रबीउल अव्वल के बारहवें दिन 571 र्इ. में, अबू लहब की लौंडी सुवैबा असलमिया जल्दी से अपने मालिक के पास गर्इ और उसे उसके भतीजे के जन्म की शुभसूचना दी, जिस पर वह बहुत प्रसन्न हुआ और उसे आज़ाद कर दिया।[1]
अब्दुर्रहमान बिन औफ की माँ शिफा बिन्त औफ बिन अल-हारिस ने अबू तालिब के घर में पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को जनवाने का कार्य संभाला।
[1] किसी भी सही सू़त्र से यह बात प्रमाणित नहीं है कि अबू लहब नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के जन्म पर खुश हुआ, या सुवैबा ने अबू लहब को पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के जन्म की शुभसूचना दी, या यह कि अबू लहब ने सुवैबा को नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के जन्म की शुभसूचना देने की वजह से आज़ाद कर दिया। बल्कि इसके विपरीत सही सूत्रों से यह बात प्रमाणित है कि सुवैबा को नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के मदीना की तरफ हिजरत करने के बाद आज़ाद किया गया था, जैसाकि इब्ने सअद ने अत्तबक़ात (1/108, 109) में और इब्ने हजर ने अल-इस्तीआब (1/12) में उल्लेख किया है। (अनुवादक)