1. सामग्री
  2. लेख
  3. बीमारों को फूल भेंट करने का हुक्महम आप से एक ऐसी घटना (संयोग) के बारे में प्रश्न कर रहे हैं जो हस्पतालों के अंदर बढ़ती जा रही है, और वह मुस्लिम समाज के लिए एक परायी (विचित्र) चीज़ है, क्योंकि वह हमारे अंदर पश्चिमी काफिर समाजों से स्थानांतरित हुई है, और वह ह

बीमारों को फूल भेंट करने का हुक्महम आप से एक ऐसी घटना (संयोग) के बारे में प्रश्न कर रहे हैं जो हस्पतालों के अंदर बढ़ती जा रही है, और वह मुस्लिम समाज के लिए एक परायी (विचित्र) चीज़ है, क्योंकि वह हमारे अंदर पश्चिमी काफिर समाजों से स्थानांतरित हुई है, और वह ह

Under category : लेख
2141 2013/06/03 2024/12/18

हम आप से एक ऐसी घटना (संयोग) के बारे में प्रश्न कर रहे हैं जो हस्पतालों के अंदर बढ़ती जा रही है, और वह मुस्लिम समाज के लिए एक परायी (विचित्र) चीज़ है, क्योंकि वह हमारे अंदर पश्चिमी काफिर समाजों से स्थानांतरित हुई है, और वह है बीमारों को फूल भेंट करना - जबकि उन्हें भारी क़ीमतों में खरीदा जाता है, तो इस प्रथा (प्रचलन) के बारे में आपकी क्या राय है ?

इसमें कोई संदेह नहीं कि इन फूलों का कोई लाभ नहीं है, और न ही इनका कोई महत्व है। चुनाँचे न तो ये बीमार को निरोग करते हैं, न उसके दर्द को कम करते हैं, न उसे स्वास्थ्य प्रदान करते हैं, और न ही बीमारियों को टालते हैं ; क्योंकि ये मात्र फूल वाले पौधों के रूप में बनाये गए चित्र हैं, जिन्हें हाथों या मशीनों ने बनाया है, और उच्च क़ीमत पर बेच दिया गया है, इसमें निर्माताओं का लाभ हुआ है, और खरीदारों का घाटा हुआ है। इसमें, बिना सोचे समझे पश्चिम की नकल करने के अलावा, कुछ भी नहीं है। क्योंकि इन फूलों को भारी क़ीमत पर खरीदा जाता है, और बीमार के पास एक या दो घंटा, या एक या दो दिन बाक़ी रहता है, फिर बिना लाभ के कचरे के साथ फेंक दिया जाता है। जबकि बेहतर तो यह था कि उसकी क़ीमत को बचाकर रखा जाता, और उसे दीन या दुनिया के किसी लाभदायक चीज़ में खर्च कर किया जाता। अतः जो भी आदमी किसी को इन्हें खरीदते या बेचते हुए देखे, तो उसे चेतावनी दे। आशा है कि वह पश्चाताप करे और इसे खरीदना त्याग कर दे, जो कि एक खुला हुआ घाटा है।

Previous article Next article

Articles in the same category

पैगंबर हज़रत मुहम्मद के समर्थन की वेबसाइटIt's a beautiful day