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एक औरत ने एक बेटा जना जिसके केवल चार उंगलियां हैं तो वह इस परीक्षा के साथ किस तरह व्यवहार करे
मैं समझती हूँ कि यह एक स्वभाविक भावना है जो मेरी तरह हालत से ग्रस्त किसी भी माँ की भावना होगी, मैं इससे दर्द महसूस करती हूँ किंतु मैं अपने दर्द को ज़ाहिर नहीं करती हूँ , लेकिन मैं कभी कभी सोचती हूँ कि मैं उसके प्रश्न का उस समय क्या जवाब दूँगी जब बड़े होने के बाद स्कूल में बच्चे उसका उपहास करेंगे और वह मेरे पास आकर इसके बारे में पूछेगा, तो मैं उस समय उस से क्या कहूँगी ?
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।
हम - ऐ मां - आपके अपने बच्चे के प्रति भावना का सम्मान करते हैं, और हम आपकी भावनाओं के साथ जीते हैं जब आप अपने बेटे को देखती हैं कि अल्लाह तआला ने उसे उस चीज़ के साथ आज़माया है जिसका आप ने उल्लेख किया है, और हम आपके सामने कुछ बातें रखेंगे जिनका हमें आशा है कि आपके ऊपर इस परीक्षा का सामना करने और उस के साथ अच्छी तरह पेश आने में अच्छा प्रभाव पड़ेगा :
1- आप के ऊपर अनिवार्य है कि अल्लाह तआला की मुक़द्दर की हुई सभी चीज़ों में अल्लाह की महान तत्वदर्शिता में मननचिंतन करें, और आपके बेटे का चार उंगलियों के साथ पैदा होना उन चीज़ों से बाहर नहीं है जिन के बारे में मननचिंतन करना अनिवार्य है। क्योंकि अल्लाह तआला किसी चीज़ को व्यर्थ नहीं पैदा करता है बल्कि एक बड़ी हिकमत (तत्वदर्शिता) के कारण पैदा फरमाता है, उसी में से यह भी है कि अल्लाह तआला अपनी कुछ सृष्टि को कुछ शारीरिक विकलांगता के साथ पैदा करता है जिसके अंदर वे विभिन्न प्रकार के होते हैं, और इस बारे में सबसे बड़ी हिकमतों में से यह है कि वह उसके माता पिता के लिए और फिर स्वयं बेटे के लिए यदि वह बालिग और मुकल्लफ हो जाता है, एक आज़माइश और परीक्षा है। हम ने इस बात को कुछ अधिक विस्तार के साथ प्रश्न संख्या : (13610) के उत्तर में वर्णन किया है, अतः आप उसका अध्ययन करें।
2- हम आप से यह आशा करते हैं कि आप पीछे मुड़ कर न देखें और कष्टदायक यादगारों में लिप्त न हों ; क्योंकि शोक, दर्द और पीड़ा के भावनाओं में व्यस्त होना और उसमें अधिक पड़ना, कर्तव्यों को निभाने बौर बच्चे के हित के लिए कार्य करने को स्थगित करना है, और हो सकता है - अल्लाह न करे- कि यह आपको क्रोध प्रकट करने और अल्लाह के कार्य पर आपत्ति वयक्त करने तक पहुंचा दे।
3- हम नहीं समझते कि अल्लाह तआला के आपके बच्चे को चार उंगलियों के साथ पैदा करने में कोई बहुत बड़ी परीक्षा है, क्योंकि अल्लाह तआला ने उसे संपूर्ण बुद्धि प्रदान की है और उसे चलने फिरने पर सक्षम बनाया है, वह खाता, सोता, देखता और सुनता है जो कि महान और बड़ी नेमतें हैं जिन पर आपको आभार होने की आवश्यकता है।
4- हम आपको अपने बच्चे का ध्यान रखने की सलाह देते हैं ताकि वह ऐसे कौशल सीख ले जिनके द्वारा वह अपने साथियों पर बढ़ोतरी प्राप्त कर ले, ताकि उसकी रचना में जो कमी है उसकी छतिपूर्ति हो सके, अतः आप उसे -उदाहरण के तौर पर - क़ुर्आन के हिफ्ज़ और ज्ञान की प्राप्ति के द्वारा उत्कृष्ट कर दें जो उसे एक उत्कृष्ट बच्चा बना देंगे जिस पर उसकी प्रशंसा की जायेगी ताकि वह उसके होते हुए अपने भाईयों और साथियों से हीनता का अनुभव न करे।
5- आप उसके साथ केवल भावना के साथ व्यवहार करने से उपेक्षा करें, अतः उसके सामने शोक और दुःख को ज़ाहिर न करें ताकि अपने साथियों और भाईयों के सामने हीनभावना से ग्रस्त न हो।
6- आप उसके भाईयों और बहनों को सचेत कर दें कि वे उसके साथ अपनी बात चीत में सतर्कता और सावधानी से काम लें और उसके साथ उपहास न करें, तथा इसका विरोध करने वाले को दंडित करने में सख्ती से काम लें।
7- आप स्कूल के प्रशासन और सामाजिक विशेषज्ञ के साथ सहयोग करें कि वे उसकी अच्छी तरह देखरेख करें और जो उसके साथ उपहास करता है उसे सज़ा दें और यदि ऐसा हो जाता है तो आप उसे उसके प्रभावों से दूर रखें।
8- आप इस बात का इच्छुक बनें कि आप का बेटा मस्जिद वालों में से बने ताकि उसके संगी ज्ञान अर्जित करने वालों और क़ुर्आन याद रखने वालों में से अच्छे और साफ सुथरे छात्र हों। और वे ऐसे लोग हैं जिनसे -इन शा अल्लाह- उसके साथ उपहास करना संभव नहीं है।
जहाँ तक उसके बड़े होने की बात है, तो उसे यह बात समझाने की कोशिश करना कि अल्लाह तआला उसके सिवा अन्य लोगों को इस से भी गंभीर और कठोर चीज़ों के द्वारा आज़माया है, चुनांचे कुछ लोग ऐसे हैं जो चल फिर नहीं सकते, तथा उनमें कुछ पागल, अंधे, बहरे और रक्त कैंसर से ग्रस्त हैं, तथा कुछ ऐसे हैं जिसके गुर्दे को दो बार डाइलिसिस किया जाता है, इस तरह बहूत सारी परीक्षायें हैं, अल्लाह तआला हमें उनसे सुरक्षित रखे, और वह इस बात को अच्छी तरह जान ले कि अल्लाह तआला ने उसे जिस चीज़ से आज़माया है वह उसके अलावा कठोर परीक्षाओं के अनुपात में कुछ भी नहीं है, और इससे भी बड़ी बात उसे यह जानना चाहिए कि वह सबसे महान नेमत में पल बढ़ रहा है और वह इस्लाम की नेमत है, और यह कि अल्लाह तआला ने उसे मुवह्हिदों (एकेश्वरवादियों) में से बनाया है, और यह एक बहुत बड़ी नेमत है जिसके लिए आपको अपने दिल, ज़ुबान, और अंगों के द्वारा बहुत बड़े शुक्र की ज़रूरत है, तथा उसे जानना चाहिए कि यह दुनिया मात्र परीक्षा, आज़माइश, दुःख, पीड़ा और कमी का घर है, और यह कि सौभाग्य, प्रसन्नता, निपुणता केवल सदैव रहने वाले स्वर्ग में है, अतः उसे उसके अधिकृत लोगों में से बनने का प्रयास कहना चाहिए।
हम अल्लाह तआला से प्रार्थना करते हैं कि वह आपकी मदद करे और आपके मामले को आसान कर दे, तथा हम उससे प्रश्न करते हैं कि उसे अपनी प्रसन्नता का मार्ग दर्शाये।