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नमाज़ के अंदर मुसहफ (क़ुरआन) से देखकर पढ़ने का हुक्म

Under category : क्यू एंड ए
1616 2013/07/29 2024/12/18
क्या तरावीह की नमाज़ या ग्रहण की नमाज़ में मुसहफ (क़ुरआन) से देखकर पढ़ना जायज़ है या नहीं ?



हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।

रमज़ान के क़ियामुल्लैल (तरावीह) में मुसहफ से देखकर पढ़ने में कोई आपत्ति की बात नहीं है, क्योंकि इसमें मुक़तदियों को संपूर्ण क़ुरआन सुनाना उद्देश्य है, और इसलिए कि किताब व सुन्नत के शरई प्रमाणों से नमाज़ के अंदर क़ुरआन पढ़ने की वैधता का पता चलता है, और यह सर्वसामान्य है, यह उसे मुसहफ से देखकर पढ़ने और कंठस्थ कर पढ़ने, दोनों को सम्मिलित है। तथा आयशा रज़ियल्लाहु अन्हा के बारे में प्रमाणित है कि उन्हों ने अपने मौला ज़कवान को आदेश दिया कि वह रमज़ान के क़ियामुल्लैल में उनकी इमामत कराएं, और वह मुसहफ से देखकर पढ़ते थे। इसे बुखारी ने अपनी सहीह में तालीक़न जज़्म के साथ रिवायत किया है।

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