Search
ए अल्लाह मैंने अपना तन- मन तुझे सौंप दिया।
तर्जुमा: ह़ज़रत बर्राअ बिन आ़ज़िब रद़ियल्लाहु अ़न्हु कहते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया: "जब बिस्तर पर जाने का इरादा करो तो पहले नमाज़ (के वुज़ू) की तरह वुज़ू कर लो और फिर दाहिनी करवट पर लेट कर यह पढ़ो:
(अल्लाहुम्मा असलमतु वजही इलैका, व फ़व्वद़्तु अमरी इलैका, व अलजअतु ज़हरी इलैका रगबतन व रहबतन इलैका, ला मलजअ व ला मनजअ इल्ला इलैका, अल्लाहुम्मा आमन्तु बिकिताबिका अल-लज़ी अनज़ल्त व बिनब्बिय्यिक अल-लज़ी अरसलत,)
(तर्जुमा:ए अल्लाह मैंने अपना तन- मन तुझे सौंप दिया, अपना मामला तेरे हवाले कर दिया, पीठ छुपाने तेरी पनाह गाह (शरण) में आ गया, तुझ ही से उम्मीद है और तुझ ही से डरता हूँ, तेरे अलावा कोई पनाह की जगह नहीं, मैं तेरी उतारी हुई किताब और तेरे भेजे हुए नबी पर ईमान लाया। ) तो अगर उसी रात तुम मर गए तो फितरत (ईमान) पर मरोगे।) ह़ज़रत बर्राअ कहते हैं कि मैंने उन शब्दों को नबी ए करीम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम के सामने दोहराया ताकि अच्छी तरह याद कर लूँ। जब मैं "अल्लाहुम्मा आमन्तु बिकिताबिका अल-लज़ी अनज़ल्त " पर पहुँचा तो मैंने कहा:" व रसूलिक अल-लज़ी अरसलत " तो आप सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया: " बल्कि यह पढ़ो: " व बिनब्बिय्यिक अल-लज़ी अरसलत "।
नबी ए करीम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम अपने कुछ सह़ाबा ए किराम रद़ियल्लाहु अ़न्हुम को कुछ ऐसी वसियतें करते जिन्हें उनके धर्म और दुनिया के लिए बेहतर और लाभदायक समझते। तो विशेष रूप से आप सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम का आदेश उन्हीं सह़ाबा के लिए होता लेकिन आमतौर पर दूसरे सह़ाबा भी उसमें शामिल होते। हाँ अगर किसी दलील से यह साबित हो जाता कि नबी ए करीम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम का यह आदेश सिर्फ उन्हीं सह़ाबा ए किराम के साथ खास है जिनसे नबी करीम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम से यह कहा तो उस समय दूसरे सह़ाबा इसमें शामिल नहीं होते।
नबी ए करीम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने ह़ज़रत बर्राअ बिन आ़ज़िब रद़ियल्लाहु अ़न्हु को यह वसीयत की ताकि वह उसे अच्छी तरह से याद करके उस पर अमल करें और दूसरों तक पहुंचाएं ताकि वे भी उस पर अमल करें। लिहाज़ा बयान करने वालों ने बड़ी बारीकी के साथ इस वसीयत को ह़ज़रत बर्राअ बिन आ़ज़िब से हम तक पहुंचाया।
प्यारे भाइयों! यह कितनी ही प्यारी और बेहतरीन वसीयत है। क्योंकि इसमें बहुत से फायदे और बहुत ज़्यादा हिकमतें हैं। अल्लाह वाले इसे नबी ए करीम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम की सबसे बेहतरीन वसीयत शुमार करते हैं। चुनांचे यह मुस्तह़ब है कि जब कोई अपने बिस्तर पर लेटे तो वह इस वसीयत पर अमल करे और अपनी आत्मा अल्लाह को सौंप दे अब चाहे वह दोबारा उसमें लौटा दे या फिर अपने यहाँ रोक ले।
अत: यह एक ऐसी वसीयत है कि मोमिन जब यात्रा या काम की तकलीफ से आराम के लिए अपने बिस्तर पर लेटता है तो यह वसीयत उसे दिली संतुष्टि, इत्मीनान व सुकून और आराम पहुंचाती है।