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मोमिन के अलावा किसी को अपना दोस्त मत बनाओ

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तर्जुमा: ह़ज़रत अबू सई़द खुदरी रद़ियल्लाहु अ़न्हु बयान करते हैं कि नबी ए करीम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया: "मोमिन के अलावा किसी को अपना दोस्त मत बनाओ और तुम्हारा खाना केवल मुत्तक़ी (नेक और परहेज़गार) व्यक्ति ही खाए।"

नेक लोगों की दोस्ती और उनके साथ रहने में केवल भलाई ही है भले ही इस रास्ते में कभी-कभी कुछ लोगों को ऐसे मामलों का सामना करना पड़ता है जिन्हें वे पसंद नहीं करते हैं लेकिन समझदार लोग उनकी परवाह नहीं करते हैं बल्कि उन्हें नजरअंदाज कर देते हैं। क्योंकि वह जानते हैं कि नेक लोगों से बुराई कैसे नहीं आ सकती है और इस रास्ते में थोड़ी बहुत दुश्वारियाँ तो बर्दाश्त करनी ही पड़ेंगी।

और एक सच्चे मोमिन की यही शान है। क्योंकि वह पाकी और साफ-सुथराई का केंद्र है और उसके पास साफ सुथरा दिल है जो ईमान को गंदा करने वाली हर बुरी चीज़ से पाक है। तो भला वह किसी ऐसे व्यक्ति के कैसे नजदीक हो सकता है जो उसके बिल्कुल खिलाफ हो और भला वह किसी ऐसे आदमी से कैसे दोस्ती कर सकता है जो उसके बिल्कुल उल्टा हो। तो भला कैसे उन दोनों में इत्तेफाक और एकता कैसे मुमकिन हो सकती है हालांकि वे दोनों मिजाज़, आत्मा और अखलाक़ के एतबार से एक दूसरे से पूरे अलग-थलग हैं।

इसमें कोई शक नहीं है कि बर्तन में से वही चीज़ निकलती है जो उसमें होती है और हर व्यक्ति वही खर्च करता है जो उसके पास होता है। इसी वजह से नबी ए करीम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने मोमिन को अपने जैसे मोमिन ही से दोस्ती करने का आदेश दिया और उसे बुरों का साथ इख्तियार करने से मना फ़रमाया ताकि उसे उन जैसी कोई बुराई ना लग जाए।

मोमिनो की आत्माओं को बदनों में डाले जाने से पहले ही जब से अल्लाह ने उन्हें पैदा किया है आत्माओं की दुनिया में ही एक दूसरे से लगाओ होता है और जब दुनिया में मिलती हैं तो एक दूसरे को पहचान लेती हैं और उनमें लगाओ और प्रेम हो जाता है।

 

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