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वुज़ू की सुन्नतें
की सुन्नतें:
२ – वुज़ू के शुरू में दोनों हथेलियों को तीन बार धोना.
३- चेहरा धोने से पहले मुंह में पानी लेकर कुल्ली करना और नाक में पानी खींच कर छिनकना.
४ – बायें हाथ से नाक छिनकना, क्योंकि हदीस में है:(तो उन्होंने -मतलब अल्लाह के पैगंबर-उन पर इश्वर की कृपा और सलाम हो- ने- अपनी हथेलियों को तीन बार धोया, उसके बाद कुल्ली की, फिर नाक में पानी चढ़ाया और छिनका, फिर अपने चेहरे को तीन बार धोया.) इमाम बुखारी और मुस्लिम इस पर सहमत हैं.
५ - मुंह और नाक में पानी डाल कर अच्छी तरह साफ़ करना यदि रोज़ा में न हो. क्योंकि हदीस में है:(और नाक में अच्छी तरह पानी चढ़ाओ यदि तुम रोज़े में न हो) इसे चारों इमामों: नसाई, तिरमिज़ी, अबू-दावूद और इब्ने-माजा ने उल्लेख किया है.
* मुंह में अच्छी तरह पानी लेकर कुल्ली करने का मतलब यह है कि पानी को पूरे मुंह में घुमाए.
* और नाक में अच्छी तरह पानी चढ़ाने का मतलब यह है कि नाक की उपरी भाग तक पानी अच्छी तरह खींच कर चढ़ाएं और खूब साफ़ करें.
६ - एक ही चुल्लू से मुंह और नाक में पानी लें, अलग अलग न करें, जैसा कि हादिस में है:( इसके बाद उन्होंने उसमें (पानी) में हाथ डाला और कुल्ली की और नाक में पानी चढ़ाया एक ही चुल्लू से) इमाम बुखारी और मुस्लिम इस पर सहमत हैं.
७ – मिस्वाक का प्रयोग करना, और मिस्वाक कुल्ली करते समय करना चाहिए. क्योंकि हदीस में है( यदि मैं अपनी जनता पर कठिन न सझता तो मैं उन्हें प्रत्येक वुज़ू के समय मिस्वाक का आदेश दे देता) इमाम अहमद और नसाई ने इसे उल्लेख किया है.
८ – चेहरा धोते समय दाढ़ी के बालों के बीच में उंगुलियां फिराना, यह उस के लिए है जिसकी दाढ़ी घनी हो. जैसा कि हदीस में है:कि (हज़रत पैगंबर-उन पर इश्वर की कृपा और सलाम हो-वुज़ू में दाढ़ी में उंगलियां फिराते थे. इसे इमाम तिरमिज़ी ने उल्लेख किया है. १ - बिस्मिल्लाहिर-रहमानिर-रहीम(अल्लाह के नाम से जो बड़ा कृपाशील, अत्यंत दयावान है) पढ़ना.
९ – सिर के मासह(या पोछने) का तारीक़ा:
सिर के मसह का तारीक़ा यह है कि सिर के सामने के भाग से हाथ फैरना शुरू करे और सिर के पीछे गुद्दी की ओर हाथ फैरते हुए लाए और फिर दुबारा सामने की ओर हाथ लाए.
ज़रुरी मसह तो केवल इतना ही है कि पूरे सिर पर जिस तरह भी हो हाथ फैर लिया जाए: जैसा कि हदीस में है कि:( अल्लाह के पैगंबर-उन पर इश्वर की कृपा और सलाम हो-ने अपने सिर का मसह किया: अपने दोनों हाथों को आगे लाए और फिर पीछे की ओर ले गाए.) इमाम बुखारी और मुस्लिम इस पर सहमत हैं.
१० – हाथ और पैर की उंगलियों के बीच में उंगलियां फैरना:क्योंकि हदीस में है:कि अच्छी तरह वुज़ू करो, और उंगलियों के बीच में उंगलियां फिराओ) इसे चारों इमामों नसाई, तिरमिज़ी, अबू-दावूद और इब्ने-माजा ने उल्लेख किया है.
११ "तयामुन" मतलब हाथों और पैरों में बायें से पहले दाहिने से शुरू करना: क्योंकि हदीस में है कि ( अल्लाह के पैगंबर-उन पर इश्वर की कृपा और सलाम हो-को जूते पहनने...और नहाने-धोने में दाहिने ओर से शुरू करना पसंद था.) इमाम बुखारी और मुस्लिम इस पर सहमत हैं.
१२ - चेहरा, दोनों हाथ और दोनों पैर के धोने को एक से बढ़ाकर तीन तीन बार करना भी सुन्नत है.
१३ – वुज़ू कर चुकने के बाद गवाही के दोनों शब्दों को पढ़ना:
( أشهد أن لا إله إلا الله وحده لا شريك له ، وأشهد أن محمداً عبده ورسوله)
"अशहदु अल्लाइलाहा इल्लाल्लाहु वह्दहू ला शरीक लहु, वह अशहदु अन्न मुहम्मदन अब्दुहू व रसूलुह." मतलब मैं गवाही देता हूँ कि अल्लाह को छोड़ कर कोई पूजे जाने के योग्य नहीं है, अकेला है उसका कोई साझी नहीं और मुहम्मद अल्लाह के भक्त और उसके पैगम्बर हैं." इस का फल यह होगा कि उसके लिए स्वर्ग के आठों दरवाज़े खोल दिए जाएंगे, जिस के द्वारा चाहे प्रवेश करे.) इमाम मुस्लिम ने इसे उल्लेख किया है.
१४- घर से वुज़ू करके निकलना: क्योंकि अल्लाह के पैगंबर-उन पर इश्वर की कृपा और सलाम हो-ने कहा:(जो अपने घर में ही साफ़ सुथरा और पाक होकर निकले, और फिर परमेश्वर के भवनों में से किसी भवन(यानी मस्जिद)को जाए ताकि अल्ला के फर्जों में से किसी फ़र्ज़ को अदा करे तो उसके दोनों क़दम ऐसे होंगे कि उनमें से एक तो पाप मिटाएगा, और दूसरा उसका दर्जा बुलंद करेगा.) इसे इमाम मुस्लिम ने उल्लेख किया है.
१५- रगड़ना: मतलब पानी के साथ साथ या पानी बहाने के बाद अंगों को हाथ से रगड़ना.
१६- पानी को ज़रूरत भर ही खर्च करना: क्योंकि हदीस में है कि : अल्लाह के पैगंबर-उन पर इश्वर की कृपा और सलाम हो- एक मुद (लभभग पौने एक लीटर) पानी से वुज़ू करते थे. इमाम बुखारी और मुस्लिम इस पर सहमत हैं.
१७ चारों अंगों को धोना: दोनों हाथ और दोनों पैरों को ज़रुरी सीमा से बढ़कर धोना क्योंकि हदीस में है कि (हज़रत अबू-हुरैरा ने वुज़ू किया तो अपने हाथ को धोया और पूरे बाज़ू तक धोया, और पैर को पिंडली तक धोया, उसके बाद उन्होंने कहा: मैंने अल्लाह के पैगंबर-उन पर इश्वर की कृपा और सलाम हो- को इसी तरह वुज़ू करते देखा.) इसे इमाम मुस्लिम ने उल्लेख किया.
१८- वुज़ू के बाद दो रकअत नमाज़ पढ़ना: क्योंकि अल्लाह के पैगंबर-उन पर इश्वर की कृपा और सलाम हो-ने कहा: (जो भी इस तरह मेरे वुज़ू करने की तरह वुज़ू करे फिर दो रकअत नमाज़ पढ़े, उन दोनों के बीच में अपने आप से बात न करे (इधरउधर की सोच में न पड़े) तो उसके पिछले पाप क्षमा कर दिए गए.) इसे बुखारी और मुस्लिम ने उल्लेख किया है, लेकिन इमाम मुस्लिम ने हज़रत उक़बा-बिन-आमिर के बयान को उल्लेख किया जिस में यह शब्द है: " तो उसके लिए स्वर्ग निश्चित होगया.
१९- पूर्ण रूप से वुज़ू करना: इस का मतलब यह है कि प्रत्येक अंग को जैसा धोना है उसतरह सही ढंग से धोए, सारे अंगों को पूरा पूरा और अच्छी तरह धोए, कुछ कमी न रहने दे.
यह बात उल्लेखनीय है कि एक मुस्लिम अपने दिन और रात में कई बार वुज़ू करता है, जबकि उनमें से कुछ लोग पांच बार वुज़ू करते हैं , और उनमें से कुछ तो पांच बार से भी अधिक वुज़ू करते हैं, खासकर जब एक व्यक्ति ज़ुहा की नमाज़(यानी दिन चढ़ने के समय की नमाज़) या रात की नमाज़ पढ़ता है. इसलिए एक मुस्लमान जब जब भी वुज़ू करे तो इन सुन्नतों पर अमल करे और बार बार इसका ख्याल रखे तो बहुत बड़ा पुण्य प्राप्त कर सकता है.
वुज़ू में इन सुन्नतों पर अमल करने के फल:
इस माध्यम से वह व्यक्ति हज़रत पैगंबर-उन पर इश्वर की कृपा और सलाम हो- की इस खुशखबरी में शामिल हो जाएगा जिसके शब्द यूँ हैं:" जिसने वुज़ू किया और अच्छी तरह वुज़ू किया तो उसके पाप उसके पूरे शरीर से निकल जाते हैं, यहां तक कि नाखूनों के नीचे से भी (पाप) निकल जाते हैं." इसे इमाम मुस्लिम ने उल्लेख किया है.