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मिस्वाक किया करो। क्योंकि मिस्वाक मुंह को साफ़ करती है और अल्लाह को खुश करती है।
तर्जुमा: ह़ज़रत अबू उमामह रद़ियल्लाहु अ़न्हु बयान करते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया: "मिस्वाक किया करो। क्योंकि मिस्वाक मुंह को साफ़ करती है और अल्लाह को खुश करती है। जिबरईल अ़लैहिस्सलाम जब भी मेरे पास आते तो मिस्वाक करने का ज़रूर आदेश देते यहाँ तक कि मुझे लगा कि वह मुझ पर और मेरी उम्मत पर फ़र्ज़ (अनिवार्य) कर दी जाएगी। और अगर मुझे मेरी उम्मत पर दुश्वारी का डर न होता तो मैं उस पर मिस्वाक फ़र्ज़ (अनिवार्य) कर देता। मैं तो इस कदर मिस्वाक करता हूँ कि मुझे लगता है कि मसूड़े छील डालूंगा। "
मिस्वाक फितरती सुन्नतों में से एक सुन्नता है। इसीलिए खाने के बाद मुंह या दातों में लगी हुई चीज से मुंह साफ करने और बदबू वगैरह दूर करने के लिए मिस्वाक का इस्तेमाल करना जरूरी है ताकि मुंह और दाढ़-दांत सूजन और हर तरह की बीमारी से सुरक्षित रहें।
नबी ए करीम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम के कहने "मिस्वाक मुंह को साफ करती है।" का मतलब है कि वह मुंह की बीमारियों और जरासीम को दूर करती है।
मुंह की बहुत सी खतरनाक बीमारियाँ हैं उनमें से एक दांतो का झंड़ना भी है। यह एक ऐसी बीमारी है कि इसमें दांत झड़कर गिरने लगते हैं यहाँ तक कि मुंह में एक भी दांत नहीं बचता है। उस समय इंसान को दातों की कीमत का पता चलता है और फिर मिस्वाक (या ब्रश) से उन्हें साफ़ न करने पर अफसोस करता है। परहेज़ इलाज से बेहतर है जैसा कि डॉक्टर्स कहते हैं। और तंदुरुस्ती लोगों के सरों का ताज है। उसकी कीमत वही जानता है जिसके पास यह नहीं होती है।
और जैसा कि हम जानते हैं कि मुंह पेट का कुदरती रास्ता है- जो पेट की पेट बीमारियों का घर है- और हाजमे की जगह, सीने और फेफड़ों तक वायरसों के जाने का खुला रास्ता है इसीलिए हर मुसलमान (बल्कि हर इंसान) को चाहिए कि वह हमेशा मुंह की सफाई का ख्याल रखे खासकर जब मुंह से बदबू वगैरह महसूस करे। तथा मिस्वाक करने के बहुत से दूसरे फायदे भी हैं।
जब आपको यह पता चल गया कि मिस्वाक मुंह को साफ रखती है तो जाहिर सी बात है कि क़ुरआन मजीद पढ़ने, जिक्र करने, तफसीर और ह़दीस़ या दूसरी दीनी किताबें पढ़ने से पहले मिस्वाक करना अल्लाह के यहाँ बहुत प्यारा काम है। तो जो पाक और साफ मुंह के जरिए अल्लाह का जिक्र करे यकीनी तौर पर वह अल्लाह के नजदीक उस व्यक्ति से बेहतर होगा जो मुंह को साफ किए बिना उसका जिक्र करे।
आमतौर पर जिन समयों में मिस्वाक करना बहुत ज्यादा मुस्ताहब है वह पांच हैं: बुजु करते समय, नमाज़ पढ़ने से पहले, क़ुरआन मजीद पढ़ने से पहले, सोकर उठते समय और जब मुंह की बू बदल जाए।
डॉक्टर्स भी आज के समय में मिस्वाक करने पर बहुत ज़्यादा जोर देते हैं और उसको तंदुरुस्ती के लिए उन जरूरी चीज़ों में से समझते हैं जिनका हर इंसान को ख्याल रखना चाहिए ताकि मुंह बल्कि सारा बदन बीमारियों से महफूज़ रहे। क्योंकि मुंह वायरसों के जाने का कुदरती रास्ता है।