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अच्छाई करो और बुराई से बचो।
तर्जुमा: ह़ज़रत ह़रमलह बिन औस रद़ियल्लाहु अ़न्हु बयान करते हैं कि मैंने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम से पूछा: "ए अल्लाह के रसूल! आप मुझे क्या करने का आदेश देते हैं?"
तो आप सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया: "ए ह़रमलह! अच्छाई करो और बुराई से बचो। और देखो कि जब तुम लोगों के पास से आओ तो तुम उनसे अपने बारे में क्या सुनना पसंद करते हो तो ऐसा ही करो। (जिसकी वजह से लोग तुम्हें अच्छा कहीं) और देखो कि जब तुम उनके पास से आओ तो तुम अपने बारे में उनसे क्या सुनना पसंद नहीं करते हो तो ऐसा करने से बचो। (जिसकी वजह से लोग तुम्हें बुरा कहें।)
नबी ए करीम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम के कहने:" अच्छाई करो।" का मतलब है कि उसे पहचानो। उसे हमेशा करो। उसे अपने दिल में महान जानो और दूसरों को भी उसके करने का आदेश दो। ये सब माने उसके करने के आदेश में शामिल हैं।
अच्छाई हर वह काम है जिसे इस्लाम और उसके साथ बुद्धि अच्छा समझती हो। नेक फितरत उसकी तरफ़दारी करती हो। पाक व साफ़ आत्माओं वालों को उससे राहत पहुंचती हो। मोमिन दिलों को उससे सुकून मिलता हो।
नबी ए करीम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम के फरमान "बुराई से बचो।" का मतलब है कि अपने आप को उससे दूर रखो और हमेशा उससे एहतियात बरतो।
और नबी ए करीम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम के फरमान "और देखो कि जब तुम उनके पास से आओ तो तुम अपने बारे में उनसे क्या सुनना पसंद नहीं करते हो तो ऐसा करने से बचो। (जिसकी वजह से लोग तुम्हें बुरा कहें।)" से आप सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम के पिछले फरमान "और देखो कि जब तुम लोगों के पास से आओ तो तुम उनसे अपने बारे में क्या सुनना पसंद करते हो तो ऐसा ही करो। (जिसकी वजह से लोग तुम्हें अच्छा कहीं)" पर ज़ोर देना मक़सूद है। क्योंकि आप सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने पहले एक चीज़ को बयान किया और फिर उसके मुकाबले की दूसरी चीज़ को बयान किया जैसे के भलाई के मुकाबले में बुराई को बयान करना। अच्छे के मुकाबले में बुरे को बयान करना। और पसंदीदा के मुकाबले में ना पसंदीदा को बयान करना।
खुलासा यह है कि बुद्धिमान शख्स वह है जो अपने आप से नसीहत हासिल करे। दूसरों से सबक ले। और जो सुने और देखे उसमें अपनी बुद्धि को इस्तेमाल करे तो जो देखे और सुने अगर वह अच्छा है तो उसे करे और अगर बुरा है तो उससे बचे। क्योंकि सारी भलाई इसी में है कि वह भलाई और बुराई की जगहों को अच्छी तरह पहचाने। अच्छाई को करने और बुराई से बचने के तरीकों को जाने। और किसी भी चीज को उसी समय करे जबकि वह जान ले कि वह उसे क्यों कर रहा है और वह कैसी है।
इमान के बाद सबसे महान दौलत हिकमत है जिससे इंसान अपने सभी कामों को तोलता है। जिससे उन्हें उनकी मुनासिब जगहों में रखता है। और जिससे अपनी हर बात सही़ह़ तौर पर कहता है और अपना हर काम ठीक तरह से करता है।