1. सामग्री
  2. 30 वसियतें नबी सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम की दूल्‍हा-दुल्‍हन के लिए सुहागरात में
  3. (15) पंद्रहवीं वसियत: पत्नि पति के बिस्तर को न छोड़े

(15) पंद्रहवीं वसियत: पत्नि पति के बिस्तर को न छोड़े

Article translated to : العربية Français اردو

इस्लाम में महिला को समाज का आधा हिस्सा माना जाता है, उसकी अपनी एक मानवता है, उसका अपना एक सम्मान और प्रभाव है, यह वह है जो गर्भावस्था के बाद आदमी को जन्म देती है और उसे अपने पालने में पालती है, उसके लिए रात रात भर जागती है। उसे अपना दूध पिलाती है, उसे शिक्षित करती व पढ़ाती है और उसे व्यवहार सिखाती है। इसीलिए महिला शिक्षक, डॉक्टर, दाई, मार्गदर्शक, माँ और (आदमी के लिए) पहला स्कूल है।

आदर्श व एक अच्छी पत्नी के लिए यह ज़रूरी है कि वह अपने पति की संतुष्टि व खुशी चाहे, उसके क्रोध व गुस्से से बचे, और जब भी उसका पति उसे सम्भोग के लिए कहे तो वह उसे मना न करे। हां लेकिन अगर कोई शरई़ कारण हो जैसे वह अभी माहवारी या प्रसवोत्तर (यानी बच्चा पैदा होने के बाद आने वाले खून की हालत) में हो तो उस महिला के लिए पति की ( सम्भोग की ) इच्छा पूरा करना जायज़ नहीं है और न ही पती के लिए यह जायज़ है कि वह उससे ऐसी स्थिति में सम्भोग करने को कहे, क्योंकि अल्लाह तआ़ला फ़रमाता है :

अर्थ : तो महिलाओं से अलग रहो माहवारी के दिनों में और जबतक वे पाक न हो जाएं उनके पास न जाओ।

इस आयात में माहवारी के दौरान पास न जाने का मतलब है कि जब तक वे माहवारी से पाक न हो जाएं तबतक उनसे सम्भोग (यानी सेक्स) न करो। और वे उससे पाक जब होती हैं जब खून रुक जाता है। तो जब उनकी माहवारी खत्म हो जाए और वे पानी से नहा लें तो अब पतियों को उनसे सम्भोग करने में कोई हर्ज नहीं है।

वह महिला जो अपने पति का बिस्तर छोड़ देती है (यानी उसकी इच्छा पूरी नहीं करती है) तो उस पर उस समय तक लानत होती रहती है जब तक कि वह उस अवज्ञा व नाफ़र्मानी (यानी पति की इच्छा पूरी करने से मना करना) से वह बाज़ न आ जाए।

अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम फ़रमाते हैं : " जब महिला अपने पति का बिस्तर छोड़कर सोती है तो फ़रिश्ते सूबह तक उस पर लानत करते हैं।" ([2])

अधिक नबी सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम कहते हैं : "जब आदमी अपनी पत्नी को अपने बिस्तर पर बुलाए (यानी सम्भोग करने के लिए कहे) तो वह न आए (यानी वह पत्नी सम्भोग करने से मना करदे), इस पर पति उससे क्रोधित व गुस्स हो कर सो जाए, तो फ़रिश्ते सुबह तक उस महिला पर लानत करते रहते हैं।" ([3])

 


([1]) सुरह: अल बक़रह, आयत: 222

([2]) यह ह़दीस़ सही़ह़ है, बुखारी (5194), मुस्लिम (1059) अह़मद (2/255/348/468)

([3]) यह ह़दीस़ सही़ह़ है, बुखारी (5193),मुस्लिम (1060) अह़मद (2/439/480)

 

Previous article Next article

Articles in the same category

पैगंबर हज़रत मुहम्मद के समर्थन की वेबसाइटIt's a beautiful day