1. सामग्री
  2. 30 वसियतें नबी सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम की दूल्‍हा-दुल्‍हन के लिए सुहागरात में
  3. (17) सत्रहवीं वसियत: गुदा (पाखाने की जगह) में सम्भोग न करने की वसियत

(17) सत्रहवीं वसियत: गुदा (पाखाने की जगह) में सम्भोग न करने की वसियत

ह़ज़रत अबूहुरैरह -रद़ीयल्लाहु अ़न्हु- से वर्णित है वह कहते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : " वह व्यक्ति मलऊ़न (यानी उस पर लानत होती है ) है जो अपनी पत्नी के पीछे के भाग में सम्भोग करे। "([1])

        प्यारे मुस्लिम भाईयों और बहनों!

जिन चीज़ों पर सभी विद्वानों का इत्तेफाक है उन्हीं में से एक यह भी है कि व्यक्ति के लिए यह जायज़ है कि वह अपनी पत्नी के आगे के हिस्से (यानी जहाँ से बच्चा पैदा होता है।) में जिस तरह से चाहे उसके साथ सम्भोग (सेक्स) करे। इसी बारे में यह आयत उतरी:

نِسَاؤُكُمْ حَرْثٌ لَّكُمْ فَأْتُوا حَرْثَكُمْ أَنَّىٰ شِئْتُمْ ([2])

        अर्थ : तुम्हारी औरतें तुम्हारे लिए खेतियां हैं तो आओ अपनी खेतियों में जिस तरह चाहो।

ह़ज़रत इब्ने अब्बास - रद़ीयल्लाहु अ़न्हु- कहते हैं :" गुदा (पाखाने की जगह) और माहवारी को छोड़कर जिस तरह से तु चाहे उसके पास आ (यानी उसके साथ सम्भोग कर)।"([3])

लेकिन उसके साथ गुदा मैथुन करना (यानी उसके पीछे यानी पाखाने के भाग में सम्भोग व सेक्स करना) ह़राम व नाजायज़ है, तो जो व्यक्ति यह कार्य (गुदा मैथुन) करे लेकिन उसे इसके नाजायज़ व ह़राम होने के बारे में पता न हो तो ऐसे व्यक्ति को इस कार्य (यानी गुदा मैथुन) से मना किया जाएगा, और इसके ह़राम व नाजायज़ होने के बारे में बताया जाएगा, और अगर वह दोबारा फिर से यह करे तो उसे सजा़ दी जाएगी। अत: यह उल्लेख किया जाता है कि ह़ज़रत उ़मर -रद़ीयल्लाहु अ़न्हु - ने एक व्यक्ति को ऐसा करने पर मारा था। ह़ज़रत अबु दरदाअ - रद़ीयल्लाहु अ़न्हु - से इस कार्य के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा :  " क्या काफ़िर (ग़ैर मुस्लिम ) के अलावा भी कोई ऐसा कार्य कर सकता है ?! "

और ह़ज़रत (अ़ब्दुल्ला ) इब्ने उ़मर के पास भी इसका ज़िक्र हुआ तो उन्होंने कहा : क्या कोई मुस्लिम भी ऐसा कार्य कर सकता है ?!

इससे हमें यह पत चलता है कि जिसने भी अपनी पत्नी के साथ उसके पीछे के भाग में सम्भोग किया तो उसने एक बड़ा गुनाह व अपराध किया। उस व्यक्ति लिए ज़रूरी है कि वह अल्लाह से तौबा करे, क्योंकि उसने ऐसा काम किया जिससे अल्लाह तआ़ला ने मना किया है और जिसके करने वाले पर नबी सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने लानत की है। और उस पर यह लानत उस समय तक रहेगी जब तक कि वह इस बारे में अल्लाह और उसके रसूल का आदेश जानने के बाद भी अपने इस अपराध पर डटा रहेगा।

मेरी प्यारे मुस्लिम भाईयों और बहनों!

आज के समय में आयुर्विज्ञान (Medicine) यह बताती हैं कि जो पुरुष अपनी पत्नी के साथ गुदा मैथुन करते हैं (यानी उनके पीछे के हिस्से में सम्भोग व सेक्स करते हैं )तो उनमें से 70% से अधिक को एड्स AIDS या एचआईवी HIV  (Human immunodeficiency virus ह्युमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस ) रोग लग जाता है।

इन्सान को बहुत पहले से ही उपदंश (syphilis ) प्रमेह (Gonorrhea) जिन्टल अल्सर (Genital Ulcer: यानी पुरुष के यौन अंग पर फोड़े निकलने का रोग ) जैसे रोगों व बिमारियों का पता है जो कि सम्भोग व सेक्स करने से पुरुषों से महिलाओं में और महिलाओं से पुरूषों में चली जाती हैं, फिर इस शताब्दी में समलैंगिकता ( homosexuality होमोसेक्सुएलिटी ) के कारण होने वाली एड्स AIDS नामी एक खतरनाक बीमारी के आने से हर कोई ताज्जुब में पड़ गया।

चिकित्सा विशेषज्ञों (माहिर डॉक्टरों) यह बताते हैं कि पुरुष के शुक्राणु में असंतृप्त वसा अम्ल ( unsaturated fatty acids अन्सेचर्एटिड फैटी एसिड्स ) होते हैं जिन्हें प्रोस्टाग्लैंडिस (Prostaglandins) कहा जाता है। इनकी संख्या लगभग बारह होती है। इनमें से हर एक का कार्य दुसरे के कार्य से अलग है और हर एक का तरीका भी अलग है। इन पदार्थों में से कुछ प्रतिरक्षा प्रणाली पर असर करते हैं औ इसे कमज़ोर कर देते हैं। और लिम्फोइड कोशिकाओं के उत्पादन को कम कर देते हैं जिसके कारण इन्सान को एचआईवी HIV (Human immunodeficiency virus:  ह्युमन इम्युनडिफिशिएंशी वायरस) या मानवीय प्रतिरक्षी अपूर्णता विषाणु रोग हो जाता है।

 और स्पष्ट व ज़ाहिर है कि पुरुष अपनी पत्नी की योनि के द्वारा यह वीर्य उसके गर्भाशय (कोख) में डालता है। और ऐसा करने का उसे अल्लाह ने अपनी पवित्र किताब में औ रसूल सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने अपनी ह़दीस़ में आदेश दिया है।

यह पता चला है कि गर्भाशय स्राव में ऐसे पदार्थ होते हैं जो पुरुषों के वीर्य व शुक्राणु पाए जाने वाले पदार्थों के विपरीत और समकक्ष (बराबर) होते हैं। जो प्रतिरक्षा को बढ़ाते हैं, इस इसलिए जब पुरुष शुक्राणु को महिला की योनि (बच्चा पैदा होने की जगह ) में डालता है तो इससे प्रतिरक्षा में कमी नहीं होती है। लेकिन जब पुरुष इस शुक्राणु को उसकी जगह में न रखकर किसी दूसरी जगह रखता है जैसे कि अपनी पत्नी के साथ गुदा मैथुन करे यानी उसके पिछले भाग में सम्भोग व सेक्स करे तो उस पुरूष को यह खतरनाक बीमारी (यानी एड्स AIDS )  हो जाती है।

इस तरह से हमें इस की ह़िकमत व इसका राज़ पता चलता है कि अल्लाह ने हमारे लिए हर तरह के समलैंगिकता जैसे गुदा मैथुन, स्त्री मैथुन, पत्नी के पाखाने के भाग में सेक्स करने को क्यों ह़राम व नाजायज़ किया है और महिलाओं के माहवारी से पाका होने तक उनसे दूर रहने का क्यों आदेश दिया है।([4])

 

यह सब नई जानकारी है, लेकिन यह इस्लाम के लिए नई नहीं है, क्योंकि अल्लाह तआ़ला ने 1400 साल पहले कु़रआन में हमें इसके बारे में बताया दिया था।

 



([1]) यह ह़दीस़ सही़ह़ है, इमाम अह़मद (2 /279), ( 2/444), अबु दाऊद ने “ किताबुनानिकाह़ ”, “ बाब जामिअ फ़िन्निकाहृ ” में (2162) और इब्ने माजह ने “ किताबुनानिकाह़ ”, “ बाब महिलाओं के पीछे के भाग में सम्भोग करने से मना है। ” में (1623) इसे उल्लेख किया है।

([2]) सूरह: अल बक़रह, आयत: 222

([3])  दारमी (1/258)

([4]) इस बारे में अधिक जानकारी के लिए किताब " मदख़ल इला अत्तिब्बिलइस्लामी" लेखक: डा. अ़ली मोह़म्मद अल मुत़विअ़ (अ़रबी) को पढ़ें।

 

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