1. सामग्री
  2. 30 वसियतें नबी सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम की दूल्‍हा-दुल्‍हन के लिए सुहागरात में
  3. मासिक धर्म के दौरान संभोग करने पर प्रतिबंध के कारण और रहस्य व राज़।

मासिक धर्म के दौरान संभोग करने पर प्रतिबंध के कारण और रहस्य व राज़।

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ऐ मेरी मुस्लिम बहनों!

अल्लाह के हर आदेश व का़नून में बहुत से कारण व हिकमतें और बहुत लाभ व फायदे छुपे होते हैं जिन्हें केवल अल्लाह ही जानता है। और इसमें कोई आश्चर्य व ताज्जुब की बात नहीं है क्योंकि अल्लाह जिसने क़ानून बनाये वह सब कुछ जानता है, हर चीज़ का उसे ज्ञान है और हर चीज़ की उसकी पास शक्ति व ताक़त है, वह अपनी पवित्र किताब में इरशाद फ़रमाता है :

وَيَسْأَلُونَكَ عَنِ الْمَحِيضِ ۖ قُلْ هُوَ أَذًى فَاعْتَزِلُوا النِّسَاءَ فِي الْمَحِيضِ ۖ وَلَا تَقْرَبُوهُنَّ حَتَّىٰ يَطْهُرْنَ ۖ فَإِذَا تَطَهَّرْنَ فَأْتُوهُنَّ مِنْ حَيْثُ أَمَرَكُمُ اللَّهُ ۚ إِنَّ اللَّهَ يُحِبُّ التَّوَّابِينَ وَيُحِبُّ الْمُتَطَهِّرِينَ (222)([1])

वे आपसे मासिक धर्म (माहवारी) के बारे में प्रश्न करते हैं, आप कह दीजिए कि वह गंदगी (नापाकी) है, अतः तुम मासिक धर्म मे औरतों से अलग रहो। और उनके क़रीब न जाओ जबतक (वे) पाक (पवित्र) न हो लें। फिर जब (वे) पाक हो जाएं तो तुम उनके पास जाओ जहां से अल्लाह ने तुम्हें हुक्म दिया। बेशक अल्लाह पंसद करता है बहुत तौबा करने वालों को और पंसद रखता है सुथरों को।

अत: अल्लाह ने माहवारी में संभोग करने से बचने का कारण यह बताया कि माहवारी का खून गंदगी (या व दुख देने वाला व हानिकारक) है।

मेरी मुस्लिम बहनों!

क्या माहवारी का खून बदबूदार नहीं होता? अवश्य होता है। इसीलिए वह गंदगी व हानिकारक है।

क्या माहवारी का खून स्वयं महिला पर असर नहीं करता है? अवश्य करता है। इसीलिए वह दुख देने वाला व हानिकारक है। ([2])

ऐ मेरी मुस्लिम बहनों!

आइये देखते हैं कि आयुविर्ज्ञान इस बारे में किया कहती है।

माहवारी में यह होता है कि अंतर्गर्भाशयकला (endometrium एंडोमीट्रियम) टुकड़ों में झड़ झड़ कर खून के साथ बाहर आ जाता है। और सूक्ष्मदर्शी यानी  माइक्रोस्कोप (microscope) के द्वारा माहवारी के खून की जांच में यह पता चला है कि उसमें अंतर्गर्भाशयकला (endometrium एंडोमीट्रियम)  के टुकड़े होते हैं।

इसी वजह से गर्भाशय पर सूजन होता है और वह ज़ख़्मी भी होता है। या यह कहिए कि वह एक ऐसे छेत्र की तरह हो जाता है जिस पर से खाल खींच ली गई हो। अतः ऐसी स्थिति में गर्भाशय सूक्ष्मजीवों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है जो उसे कभी बेकार कर देते हैं। और फिर इस तरह से इन सूक्ष्मजीवों के प्रसार व फैलने के लिए यह गर्भाशय एक अच्छी व उचित जगह हो जाता है। क्योंकि खून जैसा कि मालूम है इनके लिए एक अच्छी जगह है।

तो इसी वजह से माहवारी के दौरान योनि में संभोग करने से मना किया गया है। इसलिए की इससे सूक्ष्मजीव अंदर जा सकते हैं या ये सूक्ष्मजीव कमज़ोर गर्भाशय में जा सकते हैं। ऐसे में उसमें इन बैक्टीरिया और रोगाणुओं से लड़ने की क्षमता नहीं होगी और माहवारी के दौरान कीटाणुनाशक भी कम हो जाते हैं। इस तरह से बैक्टीरिया व सूक्ष्मजीव ओर बढ़ जाएंगे। इसी वजह से अल्लाह ने हमें माहवारी के दौरान योनि में संभोग करने से मना किया है।

इतना ही नहीं, बल्कि सूजन या इन्फ़लेमेशन या शोथ गर्भनलियों या डिम्बवाहिनियां तक भी जा सकता है और उनको बन्द सकता है या उनकी कोशिकाओं व रगों पर प्रभाव कर सकता है जिनका काम अंडाशय व डिम्बग्रंथि से गर्भाशय तक डिम्ब व अंडे पहुंचाना है। और गर्भनलियों के बन्द होने से महिला बांझ हो सकती है या गर्भाशय के बाहर गर्भावस्था हो सकता है। और यह सबसे बड़ा दुख व तकलीफ है। क्योंकि इससे गर्भनलियाँ फूट जाएंगी और फिर इससे पूरे पेट में खून ही खून हो जाएगा जिससे उस महिला की मौत हो सकती है।

और कभी यह इन्फेक्शन पेशाब की नाली से पेशाब के साधन में हो जाता है जो फिर ग्रीवा यानी गर्भाशय का मुख और स्वयं गर्भाशय को प्रभावित कर सकता है।

और इसमें महिला को इस तरह से तकलीफ है कि इसमें महिला की नफ़सानी व जिन्सी स्थिति का लिहाज नहीं है।

और माहवारी के दौरान महिला को कभी सिरदर्द होता है और उसे खून की कमी हो जाती है जैसा कि उसे बहुत सारी दूसरी परेशानियां होती हैं। उसमें सुस्ती आ जाती है, खून का दोरान कम हो जाता है। और फिर लाज़मी तोर उसमें संभोग की इच्छा भी कम होती है।

अधिक माहवारी के दौरान योनि में संभोग करने से पुरुष को भी तकलीफ व नुकसान होता है। क्योंकि यह बैक्टीरिया व सूक्ष्मजीवों को बढ़ाने, पेशाब की नाली में इन्फेक्शन करने और स्टैफ़ीलोकोक्क्स (Staphylococcus) बढ़ने का कारण है।([3])

अत: इन सब और इनके अलावा कारणों की वजह से इस्लाम ने माहवारी के दौरान योनि में संभोग करने से मना किया है।

 



([1]) सूरह : अल बक़रह, आयत संख्या : 222

([2]) क़ुरत़बी की किताब ” अल जामिअ़ लि अह़कामिल कु़रआ़न ” (3/57)

([3]) डा. मुह़म्मद शरक़ावी की किताब  " अल मह़ीद़ बइना इशारातिल कु़रआ़न वत़्त़िब्ब अल ह़दीस़" से लिया हुआ।

 

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