1. सामग्री
  2. 30 वसियतें नबी सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम की दूल्‍हा-दुल्‍हन के लिए सुहागरात में
  3. (2) दूसरी वसियत: सुहागरात को दूल्हा के लिए दुआ़ करें

(2) दूसरी वसियत: सुहागरात को दूल्हा के लिए दुआ़ करें

Auther : अबू मरयम मजदी फ़तह़ी अल सैयद
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दूल्हा के लिए दुआ़ करना ह़दीस़ शरीफ से साबित है, और उसके लिए दुआ़ करना मुस्तह़ब व पसंदीदा कार्य है, उसके लिए जो दुआ़ की जाए वह बरकत की दुआ़ की जाए, और जाहिली के ज़माने के तरीके से दुआ़ करने यानी " बिर्रिफाइ वल- बनीन" ( यानी: तुम में मिलाप रहे और (नरीना) बच्चे हों) कहने से शरीअ़ते इस्लामी मना किया है।

ह़ज़रत अनस बिन मालिक -अल्लाह उनसे प्रसन्न हो - से उल्लेख है कि नबी सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम  ने ह़ज़रत अ़ब्दुर्रह़मान बिन औ़फ के ऊपर पीलापन देखा तो, आप ने पूछा:  यह क्या है? तो अ़ब्दुर्रह़मान बिन औ़फ ने कहा : मैंने एक महिला से गुठली भर सोने पर विवाह कर लिया है, तो आप सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने फरमाया :

(बारकल्लाहु लक)([1])

अर्थ: अल्लाह तुम्हें बरकत दे।

ह़ज़रत अ़ब्दुर्रह़मान बिन औ़फ ने शादी की और उनके ऊपर पीलापन यानी केसर का असर दिखाई दिया, जबकि सही़ह़ ह़दीस़ शरीफ में पुरुषों को केसर और ख़लूक़ (एफ तरह की खुश्बू) लगाने से मना किया गया है, क्योंकि यह लगाना महिलाओं की विशेषता व निशानी है, और पुरुषों को महिलाओं जैसा बनने से मना किया गया है।

काश हम सुहागरात वाले दिन दूल्‍हा-दुल्‍हन के लिए दुआ़ करने वाली नबी सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम की इस वसियत को मज़बूती से थाम लें, इसी की मुझे आशा व तमन्ना है।



([1]) यह ह़दीस़ सही़ह़ है, बुख़ारी (7/85), मुस्लिम (1426), तिरमिज़ी (1100), निसई (6/128), इब्ने माजह (1907), अ़ब्दुर्रज़्ज़ाक़ (10457),दारमी (2/143) बइहक़ी " सूनने कुब्रा" (7/80/ 148)

 

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