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दूसराः क़ियाम (खड़ा होना)
दूसराः क़ियाम (खड़ा होना)
6- नमाज़ी के लिए खड़े हो कर नमाज़ पढ़ना ज़रुरी है,और यह नमाज़ का एक रुक्न है,मगर कुछ लोगों पर इस हुक्म का पालन करना अनिवार्य नहीं है, और वे कुछ इस प्रकार हैं :
- खौफ (भय और डर) की नमाज़ तथा घमासान जंग के समय नमाज़ पढ़ने वाला आदमी,चुनांचि उस के लिये सवारी पर बैठे बैठे नमाज़ पढ़ना जाइज़ है।
- ऐसा बीमार व्यक्ति जो खड़े हो कर नमाज़ पढ़ने से असमर्थ हो, चुनांचि ऐसा आदमी अगर बैठ कर नमाज़ पढ़ सकता है तो बैठ कर नमाज़ पढ़े, नहीं तो पहलू के बल हो कर नमाज़ पढ़े।
- तथा नफ्ल नमाज़ पढ़ने वाला आदमी, चुनांचि उस के लिए बैठ कर, या सवारी पर सवार होने की हालत में नमाज़ पढ़ने की रुख्सत (छूट) है, और वह रुकू और सज्दा अपने सिर के इशारे से करेगा, तथा बीमार आदमी भी इसी प्रकार अपनी नमाज़ को अदा करेगा, मगर अपने सज्दा में अपने (सिर को) रुकू से कुछ अधिक झुकाए गा।
7- बैठ कर नमाज़ पढ़ने वाले नमाजी के लिए जाइज़ नहीं है कि वह ज़मीन पर कोई ऊँची चीज़ रख कर उस पर सज्दा करे, बल्कि अगर वह अपने माथे को सीधे ज़मीन पर रखने में सक्षम नहीं है तो वह अपने सज्दा को अपने रुक़ू से अधिक नीचे करेगा, जैसा कि हम अभी इस का उल्लेख कर चुके हैं।