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नमाज़ी का अपने सामने सुत्रा रख कर और उस के क़
नमाज़ी का अपने सामने सुत्रा रख कर और उस के क़रीब हो कर नमाज पढ़ना वाजिब हैः
17- नमाज़ी का अपने सामने सुत्रा रख करनमाज़ पढ़नावाजिब है, और इस बारे में मस्जिद और मस्जिद के अलावा के बीच, तथा छोटी और बड़ी मस्जिद के बीच कोई अंतर नहीं है, क्योंकि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का यह कथन सामान्य हैः "तुम बिना सुत्रा के नमाज़ न पढ़ो, और तुम किसी आदमी को अपने सामने से हरगिज़ गुज़रने न दो, अगर वह नहीं मानता है तो उस से झगड़ा करो, क्योंकि उस के साथ एक मित्र (अर्थात शैतान) होता है।"
18- तथा उस से क़रीब रहना ज़रूरी है ; क्योंकि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इस बात का ह़ुक्म दिया है।
19- तथा आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के सजदह करने की जगह और उस दीवार के बीच जिस की तरफ आप नमाज पढ़ते थे तक़रीबन एक बकरी के गुज़रने के बराबर फासिला होता था, इसलिए जिस ने ऐसा किया उस ने जितना निकट रहना वाजिब है उस को अंजाम दे दिया। ( मैं कहता हूँ किः इस से हमें पता चलता है कि लोग जो चीज़ उन सभी मस्जिदों में करते हैं जिन्हें मैं ने सीरिया वगैरह में देखा है कि वे लोग मस्जिद के बीच में दीवार या खम्भे से दूर हो कर नमाज पढ़ते हैं, यह कार्रवाई (कृत्य) अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के हुक्म और आप के कर्म (अमल) से ग़फ़लत और लापरवाही का नतीजा है)