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नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर दुरूद पढ़न
नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर दुरूद पढ़ना और चार चीज़ों से पनाह मांगना वाजिब हैः
174- नमाज़ी पर अनिवार्य (वाजिब) है कि इस तशह्हुद में अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर दुरूद भेजे, और हम ने पहले तशह्हुद में इस के कुछ शब्दों का वर्णन किया है।
175- तथा नमाज़ी के लिए अनिवार्य है कि चार चीज़ो से अल्लाह तआला की पनाह मांगे, वह इस प्रकार कहेः "अल्लाहुम्मा इन्नी अऊज़ो बिका मिन अज़ाबि जहन्नम, व-मिन अज़ाबिल क़ब्र, व-मिन फित्नतिल मह्या वल ममात, व-मिन शर्रे फित्नतिल मसीहिद्दज्जाल" (ऐ अल्लाह, मैं तेरी पनाह में आता हूँ नरक की यातना से, और क़ब्र की यातना से, और जीवन तथा मृत्यु के फित्ना (परीक्षा) से, और मसीह दज्जाल के फित्ना की बुराई से)।
जीवन के फित्नाः से अभिप्राय वह आज़माइश और परीक्षा है जो इन्सान को उस की ज़िन्दगी में दुनिया और उस की ख्वाहिशात में से पेश आती है। और मृत्यु के फित्ना से अभिप्रायः क़ब्र की परीक्षा और दोनों फरिश्तों का प्रश्न है, और मसीह दज्जाल के फित्ना से अभिप्रायः वो असाधारण और चमत्कारयुक्त चीजें हैं जो दज्जाल के हाथों पर ज़ाहिर होंगी जिस के कारण बहुत सारे लोग गुमराह हो जायेंगे और उस की उलूहियत (ईश्वर होने) के दावे को सच मान कर उस की पैरवी करेंगे।