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हम क्या सीखने जा रहे हैं
लोग आमतौर पर सुख और दुख में लगभग एक प्रकार के होते हैं l यदि वे धनवान बनते हैं तो ख़ुश होते हैं l यदि नौकरी के पद में तरक्क़ी मिलती है तो प्रसन्न होते हैं, और यदि वे बीमारी से ठीक हो जाते हैं तो भी आनन्दित होते हैं, और जब उनकी दुनिया उनके लिए मुस्कुरा जाती है और उनके सपने पूरा होते हैं तब भी संतुष्ट होते हैं और आनंदित रहते हैं l
इसी प्रकार यदि वे बीमार पड़ते हैं तो अफ़सोस करते हैं ,और यदि उनका अपमान होता है या उनका धन नष्ट होता है तो वे दुखी होते हैं l
जब बात ऐसी है तो आइए ख़ुशियों का हम कोई ऐसा रास्ता खोजें जिसके माध्यम से हम अपनी ख़ुशियों को सदाबहार बना सकें, और अपने दुखों पर क़ाबू पासकें! जी हाँ ! निस्संदेह जीवन में तो मीठी और कड़वी दोनों तरह की स्तिथियाँ एक दूसरे के साथ जुड़ी हुई हैं, इस पर हम असहमत नहीं है l लेकिन अक्सर ऐसा क्यों होता है कि हम अपने दुखोँ और संकटों को सीमा से अधिक गंभीरता दे देते हैं, कभी कभी हम कई कई दिनों तक के लिए उदास रह जाते हैं ? जबकि हमारे बस में होता है कि केवल एक घड़ी का दुख बना दें l और कभी कभी तो हम कई घंटो तक उदास रह जाते हैं जबकि उदासी की बिल्कुल कोई बात ही नहीं होती है l आख़िर ऐसा क्यों?
ज्ञात होना चाहिए कि दुख और ग़म बिना अनुमति के अचानक हमारे दिलों पर टूट पड़ते हैं, लेकिन जो भी दुख का दरवाज़ा खुलता है तो उसको बंद करने के लिए हज़ारों साधन होते हैं, और यही हम को यहाँ सीखनी है l एक और बात अपके ध्यान में लाने की मुझे अनुमति दीजिए l आपने ख़ुद देखा होगा कि बहुत सारे लोग बहुत प्यारे होते हैं ? जिनसे मिलने के लिए और जिनके साथ उठने-बैठने के लिए लोग तरसते हैं, लेकिन क्या आपने उनकी तरह बन्ने के विषय में विचार नहीं किया? आप इसी पर संतुष्ट क्यों हैं कि आप दूसरों को ही चाहते रहें? आप यह हिम्मत क्यों नहीं करते कि आपको लोग चाहें ?
हम यहाँ यही सिखने जा रहे हैं कि यह कैसे संभव है?
आपने कभी यह सोंचा है कि जब आप का चचेरा भाई किसी सभा में बात करता है तो सभी लोग उसकी बात को ध्यान से सुनते हैं? उनकी बात को सुनने के लिए कान तरसते रहते हैं, उनके भाषण से लोग प्रभावित होते हैं, और ऐसा क्यों होता है कि जब आप भाषण देने के लिए खड़े होते हैं तो लोग उठ कर चले जाते हैं l या इधरउधर की बेकार बातोँ में लग जाते हैं? ऐसा क्यों होता है? जबकि बहुत संभव है कि आप के पास उससे अधिक जानकारी हो, और उसकी तुलना में आपकी डिग्री भी उस से ऊँची हो, और आप का पद भी उसके पद से बड़ा हो, इसके बावजूद वह कैसे लोगों के ध्यानों पर छा गया, और आप विफल रहे?
ऐसा क्यों होता है कि एक पिता तो अपने बच्चों का बहुत प्रिय होता है, और अपने पिता के साथ रहने पर वह ख़ुश होते हैं, जहाँ भी जाता है उसके साथ प्यार से चलते हैं, जबकि एक और पिता जो अपने बच्चों से उसके साथ चलने के लिए विनती करता है तो भी उनके बच्चे इनकार कर देते हैं और कई प्रकार के बहाने बनाते हैं l ऐसा क्यों होता है? क्या वे दोनों पिता नहीं हैं? जी हाँ दोनों पिता हैं l लेकिन दोनों में अंतर क्या है?
तो आइए हम यहाँ जीवन में आनंद उठाने का और लोगों को आकर्षित करने और उन्हें प्रभावित करने और उनकी ग़लतियों को सहने का ढंग सीखें l और हानिकारक नैतिकता वाले लोगों के साथ निपटने का तरीक़ा सीखें l तो यहाँ आपका स्वागत है l
एक शब्द l
सफलता यह नहीं है कि दूसरों की इच्छाओं और पसंदों को जानें, बल्कि सफलता तो यह है कि ऐसे कौशलों और ऐसी कलाओं का प्रयोग करें जिनके माध्यम से उनके प्यार को जीत सकें l