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ग़रीबों के साथ

Auther : डॉक्टर मुहम्मद अब्दुर्रहमान अल अरीफी
1580 2013/02/02 2024/10/14

आज कल बहुत तो बहुत सारे लोगों के शिष्टाचार केवल व्यापारिक होते  हैं l केवल अमीर लोगों के चुटकुले ही मज़ेदार लगते हैं जिनको सुनने के समय लोग क़हक़हे लगा कर हँसते हैं, उनकी गलतियाँ छोटी समझी जातीं हैं और अनदेखी किए जाने के योग्य होते हैं l
परन्तु ग़रीबों के चुटकुले तो केवल बकवास होते हैं जिनके सुनने के समय उनका मज़ाक़ उड़ाया जाता है और उनके दोष बहुत गंभीर होते हैं यदि उनसे कोई भूल हो जाए तो हर तरफ से आवाजें उठने लगतीं हैं l  
पर अल्लाह के पैगंबर -उन पर ईश्वर की कृपा और सलाम हो- की दया अमीर और ग़रीब दोनों के लिए बराबर थी l
हजरत अनस -अल्लाह उनसे प्रसन्न रहे- ने कहा: एक आदमी था जिसका नाम ज़ाहिर बिन हराम था, जब भी वह किसी जरूरत के लिए मदीना आते थे तो वह अपने गाँव से कुछ पनीर या मक्खन लेकर आते थे और हज़रत पैगंबर-उन पर इश्वर की कृपा और सलाम हो- को तुह्फा देते थे तो हज़रत पैगंबर-उन पर इश्वर की कृपा और सलाम हो- भी जब वह अपने बाल बच्चों के पास वापस जाने के लिए निकलता था तो खजूर तथा अन्य व्स्तुएं उसको देते थे l और हज़रत पैगंबर-उन पर इश्वर की कृपा और सलाम हो- उसको चाहते थे और कहते थे: ज़ाहिर हमारे गाँव हैं और हम उनके नगर हैं l     
ज़ाहिर देखने में उतना सुंदर नहीं था l  एक दिन ज़ाहिर अपने गाँव से निकला और अल्लाह के पैगंबर -उन पर ईश्वर की कृपा और सलाम हो- के घर को आया तो उनको घर में नहीं पाया, उनके पास कुछ सौदा
था तो उसको बेचने के लिए बाजार चला गया l
जब हज़रत पैगंबर-उन पर इश्वर की कृपा और सलाम हो- को उनके आगमन के बारे में जानकारी मिली और पता चला तो वह उसकी तलाश में बाजार की ओर निकले जब बाज़ार में पहुंचे तो देखा कि वह अपना सामान बेचने में लगा है और पसीने पसीने हो रहा है, और उनका पहनावा भी गाँव वालों का है रंग रूप और भेस भी वहां का ही हैl  
वह उसे पीछे से आकर पकड़ लिये, जाहिर आप को देख नहीं सका और उसको पता नहीं चल सका कि कोन पकड़ा है, ज़ाहिर डर गया और कहा: मुझे छोड़ दो! कौन है?

पर हज़रत पैगंबर-उन पर इश्वर की कृपा और सलाम हो-चुप रहे,  ज़ाहिर खुद को उनकी पकड़ से छुङाने की कोशिश करने लगे  और पीछे मूङ कर देखने की कोशिश करने  लगे, देखा कि हज़रत पैगंबर-उन पर इश्वर की कृपा और सलाम हो-पकड़े हैं तो उनको शांति होई और उनका भय दूर हो गया, और जब वह पहचान लिये तो  हज़रत पैगंबर-उन पर इश्वर की कृपा और सलाम हो-की छाती से अपनी पीठ को और लगाने लगे, और हज़रत पैगंबर-उन पर इश्वर की कृपा और सलाम हो-जाहिर के साथ मजाक करने लगे, और लोंगों को आवाज़ देने लगे: इस दास को कौन खरीदे गा? इस दास को कौन खरीदे गा?
इस के बाद, ज़ाहिर खुद को देखा और अपनी गरीबी के बारे में सोचा, एक गरीब और बेचारा है, न तो उसके पास कोई धन है और न ही कोई सुंदरता l
उसने कहा: अल्लाह की क़सम, हे पैगंबर-उन पर इश्वर की कृपा और सलाम हो-आप मुझे बहुत सस्ता पाएंगे l
हज़रत पैगंबर-उन पर इश्वर की कृपा और सलाम हो- ने कहा:लेकिन तुम अल्लाह के पास सस्ता नहीं होl तुम अल्लाह के पास बहुत कीमती होl
 इसलिए यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि उन पर गरीबों के दिल फ़िदा हों और वह इन आचारनों के द्वारा उनको अपना बना लें, बहुत सारे गरीबों को अमीरों पर रूपये पैसे धन और भोजन की कंजूसी पर क्रोध नहीं होता है, हां यदि उनको क्रोध होता है तो इस बात पर कि वह व्यवहार और आचारनीति में कृपण होते हैं l  
कितने ही ऐसे ग़रीब व्यक्ति हैं यदि आप उनके सामने मुस्कुरा देते हैं और आप उनको उनका महत्व और उनकी इज़्ज़त का एहसास दिलाते हैं तो वह रात के अंधेरों में दुआओं के लिए अपने हाथ उठाते हैं और आप के लिए आकाश से दया की वर्षा करा देते हैं:-उन पर ईश्वर की कृपा और सलाम हो- ने कहा:

"बहुत सारे बिखरे बालों वाला, धूल मिट्टी से भरा, फटे पुराने कपड़े के दो टुकड़े में रहने वाला, दरवाज़ों पर से धुत्कार दिया जाने वाला, जिसकी किसी को परवाह तक नहीं होती है, किन्तु यदि वह अल्लाह के नाम की क़सम खाले तो वह उसको ज़रूर पूर्ति कर देता है l
इसलिए आप सदा ऐसे बेबसों और कमजोरों के साथ ख़ुशी से मिलिए l
निचोड़:
शायद ग़रीब आदमी के लिए केवल एक मुस्कान अल्लाह की नज़र में आपके बहुत सारे पदों को ऊँचा करने के लिए काफी हो l  

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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