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धरती पर स्वर्ग
दुनिया में बहुत-सी विचारधाराएं पैदा हुईं और उनके अनुसार अनगिनत व्यवस्थाएं (Systems) अस्तित्व में आईं और अनेक प्रकार के दर्शन पैदा हुए। जैसे—साम्यवाद (Communism), पूंजीवाद (Capitalism) समाजवाद (Socialism) इत्यादि। इन सबका लक्ष्य ‘संसार में स्वर्ग स्थापित करना’ अर्थात् एक ऐसा समाज बनाना था, जिसमें पूर्ण न्याय हो, शान्ति हो, ख़ुशी हो, ख़ुशहाली हो, मगर आज तक ये सारी कोशिशें असफल रही हैं, यहां तक कि आज दुनिया में एक विचारधारा-सम्बन्धी शून्य (Ideological Vaccum) पैदा हो गया है। इसका कारण क्या है? इसका कारण एकेश्वरवाद से लोगों की दूरी है, क्योंकि एकेश्वरवाद और सिर्फ़ एकेश्वरवाद ही एकमात्र विचारधारा है, जिसे मानकर और जिस पर चलकर संसार को स्वर्ग बनाया जा सकता है। इन्सान जितना ज़्यादा एकेश्वरवाद को मानेगा, उतनी ज़्यादा बुराई दुनिया से ख़त्म होगी और उतनी ही ज़्यादा अच्छाइयों का प्रचलन व स्थापन होगा।
एकेश्वरवाद को माननेवाले व्यक्ति का उद्देश्य अल्लाह की ख़ुशी हासिल करना होता है और अल्लाह को राज़ी करने के लिए इन्सान को झूठ बोलना छोड़ना होगा, दुनिया से झूठ कम होगा। अल्लाह को राज़ी करने के लिए इन्सान को घूस लेना छोड़ना होगा, दुनिया से घूस कम होगा, अल्लाह को राज़ी करने के लिए इन्सान को अन्याय और अत्याचार बन्द करना होगा, दुनिया से अन्याय और अत्याचार कम होगा। अल्लाह को राज़ी करने के लिए इन्सान को भ्रष्टाचार (Corruption) छोड़ना होगा, दुनिया से भ्रष्टाचार कम होगा।