1. सामग्री
  2. 30 वसियतें नबी सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम की दूल्‍हा-दुल्‍हन के लिए सुहागरात में
  3. (10) दसवीं वसियत: सुहागरात में सम्भोग से पहले प्रसन्नता व प्रेम प्रकट करने की वसियत

(10) दसवीं वसियत: सुहागरात में सम्भोग से पहले प्रसन्नता व प्रेम प्रकट करने की वसियत

 सुहागरात में अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम की वसियतों में से एक वसियत सम्भोग (पत्नी के साथ सेक्स करना) से पहले खुशी ज़ाहिर करना और पत्नी के साथ प्रेम करना है, इसलिए सुहागरात में सम्भोग से पहले मुस्लिम पति के लिए मुस्तह़ब (बेहतर) यह है कि वह अपनी पत्नी को लुभाए और उस पत्नी को पाने की खुशी जा़हिर करते हुए उसके साथ प्रसन्नता व खुशी के साथ व्यवहार करे, और अपने शब्द व कार्य के द्वारा उसके डर को दूर करने की कोशिश करे, जैसे उसे ऐसे उपनामों (लक़बों) से पुकारे जो उसे पंसद हों या उसके सबसे अच्छे नामों से पुकारे, और जायज़ हंसी मज़ाक में अच्छे शब्दों के द्वारा उसे अपने लुभाए, और अपने कार्य के द्वारा भी उसे लुभाए जैसे कि उसे कुछ पीने के लिए दे, ऐसा नबी सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम के समय में भी ऐसा होता था, अतः ह़ज़रत असमा बिन्ते यज़ीद बिन अल सकन से उल्लेख है वह -अल्लाह उनसे प्रसन्न हो - कहती हैं कि मैंने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम के लिए ह़ज़रत आ़एशा को तैयार किया यानी सजाया, और एक दुसरी रिवायत ([1]) में है कि मैं आ़एशा के साथ जिसे मैंने सजाया, और अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम के पास ले गई, उस समय मेरे साथ कुछ महिलाएं भी थीं, फिर मैंने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम को बुलवाया कि वह आकर आ़एशा को देख लें, तो आप तशरीफ लाए और आ़एशा के बराबर में बैठ गए, फिर एक बड़े प्याले में दूध लाया गया, नबी सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने उसमें से कुछ दूध पिया और ह़ज़रत आ़एशा की तरफ प्याला बढ़ा दिया, उन्होंने शरमा कर सर झुकाया लिया, ह़ज़रत अस्मा बिन्ते उ़मैस - अल्लाह उनसे प्रसन्न हो - कहती हैं कि मैंने उन्हें डांटा और कहा : नबी सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम के हाथ से प्याला पकड़ो, तो उन्होंने प्याला लिया और थोड़ा सा दूध पिया, फिर नबी सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने ह़ज़रत आ़एशा से कह : अपनी सहेली को दे दो।([2]),ह़ज़रत असमा कहती हैं कि मैंने कहा : ऐ अल्लाह के रसूल! बल्कि आप लेलें और पियें और फिर आप अपने हाथों से मुझे दें, तो आपने प्याला लिया और उसमें से दूध पिया और फिर मुझे पकड़ा दिया, वह कहती हैं कि फिर मैं बैठ गई और प्याले को अपने घुटने पर रखकर घुमाने लगी ताकि उस जगह पर होंठ लगाकर पियूं जहाँ से नबी सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने पिया था, फिर नबी सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने मेरी साथ महिलाओं से कहा तुम भी पीलो, तो उन्होंने कहा: हमें पीने की इच्छा नहीं है, तो नबी सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने फरमाया: " तुम झूठ और भूख का इकट्ठा न करो।" ([3])

अत: इस ह़दीस़ से हमें यह सीख मिलती है कि शब्दों और कर्मों से पत्नी को खुश करना चाहिए और उसका दिल बहलाना चाहिए।

 


([1]) यह रिवायत अस्मा बिन्ते उ़मैस - अल्लाह उनसे प्रसन्न हो - की है।

([2]) यह ह़दीस़ सही़ह़ है, इब्ने माजह (3298), इमाम अह़मद (6/438, 452,453, 367) और ह़ुमैदी (459) ने इसे उल्लेख किया है।

([3]) यह ह़दीस़ सही़ह़ है, इब्ने माजह (3298), अह़मद (6/438, 452,453, 367) ह़ुमैदी (459)

 

 

Previous article Next article

Articles in the same category

पैगंबर हज़रत मुहम्मद के समर्थन की वेबसाइटIt's a beautiful day