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क़ुनूते नाज़िला और उस के पढ़ने की जगह का बया&
क़ुनूते नाज़िला और उस के पढ़ने की जगह का बयानः
156- नमाज़ी के लिए मसनून है कि मुसलमानों पर किसी बिपदा (आपत्ति) के उतरने पर क़ुनूत पढ़े और मुसलमानों के लिए दुआ करे।
157- और उस के पढ़ने का स्थान रुकू के बाद "रब्बना व लकल हम्द" कहने पर है।
158- और उस के लिए कोई निर्धारित (नियमित) दुआ नहीं है बल्कि उस के अन्दर ऐसी दुआ करे जो आपत्ति और बिपदा के अनुकूल हो।
159- और इस दुआ के अन्दर अपने दोनों हाथों को उठायेगा।
160- और अगर वह इमाम है तो बुलन्द आवाज़ से दुआ करेगा।
161- और जो उस के पीछे (मुक़तदी लोग) हैं उस पर आमीन कहेंगे।
162- जब उस से फारिग़ हो जाये तो अल्लाहु अकबर कहे और सज्दा करे।