पैगंबर (सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम) की वसीयतें

अल्लाह तआला ने फरमाया: "और जान लो कि तुम्हारे बीच रसूलुल्लाह मौजूद हैं" (क़ुरआन 49:7)
रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की दावत सिर्फ़ उनके परिवार, सहाबा, क़ौम या कबीले तक सीमित नहीं रही। बल्कि हमारे प्यारे नबी मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने इस दुनिया से रुखसत होने से पहले अपनी उम्मत के लिए रास्ता साफ़ कर दिया था। उन्होंने अपनी उम्मत को कुछ वसीयतें की थीं, जिन्हें हम यहाँ अल्लाह की मर्ज़ी से पेश कर रहे हैं, ताकि अपने अज़ीज़ों को इनकी याद दिला सकें... जब तक कि हम उनसे उनके मुबारक हौज़ (हौज़-ए-कौसर) पर मुलाकात न कर लें, सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम।

कार्ड

(191) बर्तन ढक दिया करो। मटके (पानी का बर्तन) का मुँह बंद कर दिया करो। चिराग (दीपक) बुझा दिया करो। और दरवाज़ा बंद कर दिया करो।

तर्जुमा: ह़ज़रत जाबिर बिन अ़ब्दुल्लह रद़ियल्लाहु अ़न्हु बयान करते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया: "बर्तन ढक दिया करो। मटके (पानी का बर्तन) का मुँह बंद कर दिया करो। चिराग (दीपक) बुझा दिया करो। और दरवाज़ा बंद कर दिया करो। क्योंकि शैतान (मुँह बंद मटके) और बंद दरवाजे को नहीं खोलता है और न ही (ढके हुए) बर्तन को खोलता है। अगर किसी को बर्तन पर ढकने के लिए लकड़ी के अलावा कोई चीज़ न मिले तो उसे ही अल्लाह का नाम लेकर रख दे। (और चिराग बुझा दिया करो।) क्योंकि छोटी दुष्ट चुहिया घर को आग लगा कर (घर और घर वालों को) जला देती है।"