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हज़रत पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की
हज़रत पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम कीबीवियाँ
मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अपनी पत्नी खदीजा रजि़यल्लाहु अन्हाके स्वर्गवास के बाद दस औरतों से शादी की जो सब की सब आइशा रजि़यल्लाहु अन्हा -जोकि कुंआरी थीं- को छोड़ कर सैयिबा (यानी पहले से जिनकी शादी हुई थी) और बड़ी उमर वालीथीं। उन में से छः क़ुरैश खानदान से और एक यहूदन थीं और अवशेष औरतें अन्य अरबक़बीलों से थीं।
तथा आप ने एक लौंडी रखी थी जिन का नाम मारिया कि़ब्तियारजि़यल्लाहु अन्हा है, और यही आप के बेटे इब्राहीम की माँ हैं, -जिन्हं इसकन्दरियाके बादाशह मुक़ौकि़स ने पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को तोहफा में दियाथा-, पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः
"तुम मिस्र परविजय प्राप्तकरोगे, उस धरती पर क़ीरात चलता है, जब तुम उसे फत्ह करो तो वहाँ के वासियों के साथअच्छा व्यवहार करना क्योंकि उनका अहद व पैमान और रिश्तेदारी है, या आप ने कहाः अहदव पैमान और सुसराली है।" (सहीहमुस्लिम)
एक दूसरी हदीस में पैग़म्बर सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लम ने फरमायाः "जब तुम कि़ब्त के मालिक हो जाओ तो उनके साथ अच्छा बरताव करना क्योंकि उनका अहद व पैमान और रिश्तेदारी है।" (मुसन्नफ अब्दुरर्ज़्ज़ाक़)
इमाम ज़ोहरी कहते हैं: रिश्तेदारी इस्माईल की माँ हाजर के कारण है और अहद व पैमानपैग़म्बर के बेटे इब्राहीम के कारण है।
पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम केइतनी औरतों से शादी करने के कुछ कारण हैं:
- धार्मिक और क़ानूनी उद्देश्यःजैसे कि 'ज़ैनब' पुत्री 'जहाश' से आप ने इसी कारण शादी की। जाहिलयत के समय काल में अरब केलोग मुँह बोले ले पालक बेटे की बीवी से शादी करने को हराम (निषिद्ध) समझते थे, इसलिए कि वह लोग ले पालक की बीवी को सगे बेटे की बीवी के समान मानते थे। चुनाँचे पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इस विचार (भ्रम) का खण्डन करने के लिए ज़ैनबसे शादी की, अल्लाह तआला नेफरमायाः
"जबज़ैद ने उस महिला से अपनी ज़रूरत पूरी कर ली, हम ने उसे तेरे निकाह में दे दियाताकि मुसलमानों पर अपने ले पालकों की बीवियों के बारे में किसी तरह की तंगी न रहेजबकि वह अपनी ज़रूरत उनसे पूरी कर लें, अल्लाह का यह हुक्म तो होकर ही रहने वालाथा।" (सूरतुल-अहज़ाबः ३७)
- राजनीतिक कारणःअल्लाह के दीन की दावत के उद्देश्य और लोगोंके दिलों को इस्लाम की ओर लुभाने और क़बीलों की हमदरदी (सहानुभूति) जुटाने के लिए, चुनांचे पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने क़ुरैश के सबसे बड़े क़बीले और अरबके सबसे शक्तिशाली क़बीले में शादी की। और अपने साथियों को भी यही ढंग अपनाने काआदेश दिया,पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अब्दुर्रहमान बिन औफ को दौमतुल जन्दल की ओर भेजते हुए फरमायाः
"अगर वह तेरी बात मान लें, तो उनके बादशाह की बेटीसे शादी कर लेना।"(तारीख तबरी ३/१२६)
डा॰ काहान (cahan )कहते हैं: पैग़म्बरसल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के जीवन के कुछ पहलू हमारी वर्तमान रूजहान (मानसिक अवस्था) के कारण हमें उल्झन एंव परेाशनी में डाल सकते हैं, पैग़म्बर सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लम की सांसारिक इच्छाओं की आलोचना की गई है और आपकी नौ बीवियों के मामलेको प्रकाशित किया गया है जिन से आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने खदीजारजि़यल्लाहु अन्हा की मृत्यु के बाद शादियाँ कीं। किन्तु यह बात प्रमाणित है कि इनवैवाहिक संबंधों में से अधिकांश पर राजनीतिक छाप है और उनका उद्देश्य कुछ कुलीन लोगों और कुछ क़बीलों की दोस्ती और वफादारी प्राप्त करना था।
- सामाजिक कारणःजैसे किपैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अपने कुछ उन साथियों की बीवियों से शादी कीजो अल्लाह के दीन को फैलाने के रास्ते (जिहाद) में मर गए थे। ज्ञात रहे कि यह औरतेंउम्र में बहुत बड़ी थीं, लेकिन आप ने उन पर मेहरबानी और हमदरदी करते हुए और उनकाऔर उनके शौहरों का सम्मान करते हुए उन से शादी कर ली। इटली देश की लेखिका 'लोरा वेस्सिया वागलियेरी'(l.vecciavaglieri)अपनी पुस्तक इस्लाम का दिफा प्रतिरक्षामें लिखती हैः "मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अपनी पूरी जवानी के दिनोंमें जबकि लैंगिक इच्छा अपनी चरम सीमा पर होती है और जबकि आप ऎसे समाज -अरब समाज-में रह रहे थे जहाँ शादी एक समाजी संस्था के रूप में अनुपस्थित थी और जहाँ अनेकबीवियों से शादी करना ही नियम था और तलाक़ देना अत्यंत सरल था, इसके बावजूद आप नेकेवल एक औरत से शादी की। वह खदीजा रजि़यल्लाहु अन्हा हैं जिनकी आयु पैग़म्बरसल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की आयु से बहुत बड़ी थी, और आप पचीस साल तक उनकेमुख्लिस और प्रिय पती रहे, और दूसरी शादी उस समय तक नहीं की जब तक खदीजारजि़यल्लाहु अन्हा की मृत्यु न हो गई और आप की आयु पचास साल को पहुंच गई। पैग़म्बरसल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की इन शादियों में से हर एक शादी का कोई न कोई राजनीतिकया समाजी कारण अवश्य था, जिन औरतों से आप ने शादियाँ कीं उसका उद्देश्य परहेज़गार औरसदाचारी औरतों को सम्मान देना और कुछ क़बीलों और खानदानों के साथ वैवाहिक संबंधस्थापित करना था ताकि इस्लाम को फैलाने के लिए एक नया रास्ता निकाल सकें। केवल आइशारजि़यल्लाहु अन्हा को छोड़ कर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने ऎसी महिलाओंसे शादियां कीं जो कुंआरी, जवान और सुंदर नहीं थीं, तो क्या आप एक शहवानी (कामुक औरशहवत परस्त) व्यक्ति थे? आप एक मनुष्य थे पूज्य नहीं थे। नई शादी करने का कारण यहभी हो सकता है कि आप को औलाद की इच्छा रही हो...आप के पास आय के कोई अधिक साधन नहींथे इसके बावजूद आप ने एक भारी परिवार का आर्थिक बोझ अपने कन्धे पर उठा लिया औरहमेशा उन सब के साथ पूरी बराबरी के साथ निबाह किया और कभी भी उन में से किसी के साथअंतर और भेद भाव का रास्ता नहीं अपनाया। आप ने पिछले पैग़म्बरों जैसे मूसा अलैहिस्सलाम आदि के आदर्श पर चलते हुए काम किया जिनके अनेक शादियों पर आपत्तिा(एतिराज़) करने वाला कोई नहीं। तो क्या मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम केबहुविवाह की आलोचना करने का यही कारण रह जाता है कि हम दूसरे पैग़म्बरों के दैनिकजीवन के विवरण नहीं जानते हैं जबकि मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के परिवारिकजीवन की एक एक चीज़ जानते हैं?"
प्रसिद्ध अंग्रेज़ लेखक 'थामस कार्लायल'(thomas carlyle) अपनी किताब 'हीरोज़' में आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के बारे में कहताहैः मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम शहवत के पुजारी नहीं थे, जबकि अत्याचार, अन्याय और जि़यादती करते हुए आप पर यह आरोप लगाया गया है। उस समय हम बड़ा अत्याचारऔर भयानक ग़लती करते हैं जब आप को एक शहवत परस्त (कामुक) आदमी समझते हैं, जिसका अपनीइच्छा और लालसा पूरी करने के सिवा कुछ काम न था। कदापि नहीं! उसके और लालसाओं केबीच ज़मीन आसमान का अंतर था।