1. सामग्री
  2. अल्लाह के पैग़म्बर मुहम्मद
  3. हज़रत पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ईश

हज़रत पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ईश

हज़रत पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ईश्दूतत्व पर पिछली आसमानी ग्रंथों से प्रमाणः

(पाठकको इस बात से अवगत होना चाहिए कि तौरात और इन्जील के इन कथनों में वर्णित कुछ बातोंको हम स्वीकार नहीं करते हैं, किन्तु हमने यहाँ उनका उल्लेख इसलिए किया है ताकियहूदियों और ईसाइयों पर उनकी उन किताबों से तर्क स्थापित किया जाए जिन पर वहविश्वास रखते हैं।)

अता बिन यसार कहते हैं: मेरी मुलाक़ात अब्दुल्लाह बिन अम्र बिनआस रजि़यल्लाहु अन्हुमा से हुई तो मैं ने उनसे कहाः मुझे तौरात में अल्लाह केपैग़म्बर(सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के गुण विशेषता (विलक्षण) के संबंध मेंबतलाईये? उन्होंने कहाः हाँ, अवश्य! अल्लाह की सौगंध तौरात में आपकी उन्हीं कुछविशेषताओं एंव गुणों का वर्णन हुआ है जो क़ुरआन में वर्णित है। "ऎ नबी! हम नेआप को गवाही देने वाला (साक्षी) ,शुभ सूचना देने वाला, डराने वाला और उम्मियों(अनपढ़ों) के लिए सुरक्षक और सहायक बनाकर भेजा है। आप मेरा बन्दा और संदेश्वाहक(पैग़म्बर) हैं, मैं ने आप का नाम मुतवक्किल रखा है, आप उजड और दुश्चरित्र नहीं हैंऔर न ही बाज़ारों में हल्ला-गुहार मचाने वाले हैं, और आप बुराई का बदला बुराई सेनहीं देते हैं, बल्कि माफ कर देते और क्षमा से काम लेते हैं। मैं आपको उस समय तकमृत्यु नहीं दूंगा जब तक कि आपके द्वारा टेढ़ी मिल्लत (पथ-भ्रष्ट राष्ट्र) को सीधान कर दूँ और वह लोग यह न कहने लगें कि अल्लाह के अतिरिक्त कोई सत्य पूज्य नहीं, औरजबँ तक कि मैं आपके द्वारा अंधी आँखों, बहरे कानों और बन्द दिलों को खोल न दूँ।"(सहीह बुख़ारी)

प्रोफेसर अब्दुल अहद दाऊदकहते हैं: ... किन्तु मैं ने अपने (तर्क-वितर्क)में बाईबल के कुछ अंशों को आधार बनाने की कोशिश की है जो बहुत कम ही किसीभाषा -संबन्धी विवाद की आज्ञा देता है, और मैं लातीनी (प्रचीन रोमन) या यूनानी याआरामी भाषा की ओर नहीं जाऊँगा; क्योंकि इसका कोई लाभ नहीं है। मैं निम्न मेंकेवल ठीक उन्हीं शब्दों को बाईबल के उस संशोधित संस्करण से प्रस्तुत कर रहा हूँजिसे ब्रिटिश और विदेशी बाईबल सूसायटी ने प्रकाशित किया है। तौरात के पुस्तक "डयूटरोनामी" (अध्यायः१८, वाक्यः१८) में हम यह शब्द पढ़ते हैं: "मैं उनके लिए उनकेभाईयों ही में से तेरे समान एक नबी बनाऊँगा और अपने वचन आदेश को उसके मुँह में रखदूँगा।"

यदि ये शब्द "मुहम्मद" र पर पूरे नहीं उतरते हैं तो अभी तक इनका पूराहोना बाक़ी है। क्योंकि स्वयं ईसा मसीह ने कभी यह दावा नहीं किया है कि जिस नबी कीओर यहां संकेत किया गया है, वह नबी वही हैं। यहाँ तक कि उनके शिष्यों का भी यहीविचार था और वह मसीह के पुनः लौट कर आने की आशा कर रहे थे ताकि उपरोक्त पेशीनगोई(भविष्यवाणी) परिपूर्ण हो। यह बात आज तक प्रमाणित और निर्विरोध है कि ईसा मसीह का प्रथमआगमन इस बात पर तर्क  नहीं है जो तौरात के इस वाक्य में आया है कि "मैं उनके लिए तेरेसमान एक नबी खड़ा करूँगा"। इसी प्रकार ईसा मसीह का दूसरी बार आगमन भी इन शब्दों का अर्थनहीं रखता है। ईसा मसीह का (पुनः) आगमन जैसा कि उनके चर्च का मानना है एक न्यायधीशके रूप में होगा, एक धर्म-शास्त्र् प्रस्तुत करने वाले के रूप में नहीं होगा। जबकिप्रतिज्ञित व्यक्ति वह है, जो 'अपने दाहिने हाथ में प्रज्वलित अग्निमय शास्त्र' लेकरआएगा।

प्रतिज्ञित नबी की व्यक्तित्व का ठीक ठीक पता लगाने के लिए किसी प्रकार से मूसाअलैहिस्सलाम की ओर मन्सूब एक भविष्यवाणी बहुत सहायक है, जो 'फारान से अल्लाह केचमकने वाले प्रकाश' के विषय पर बात चीत करती है, और वह (फारान) मक्का की एक पहाड़ीहै। तथा तौरात -व्यवस्था विश्वरण- अध्याय (३३) वाक्य (२) मे उल्लिखित शब्द इस प्रकार हैं :"रब –परमेश्वर-सीना से आया और सेईर से उनके लिए प्रकट हुआ और फारान की पहाड़ी सेचमका, और उसके साथ दस हज़ार पवित्र लोग आए, और उसके दाहिने हाथ से उनके लिए शरीअत(धर्म-शास्त्र) की अग्नि प्रकट हुई"।

इन शब्दों में रब के प्रकाश को सूर्य के प्रकाश केसमान बताया गया है, "जो सीना से आता है और उनके लिए सेईर से उदय होता है, किन्तुवह र्गव और शोभा के साथ 'फारान' से चमकता है जहाँ उसके साथ दस हज़ार सन्त प्रकट होनेथे, और वह अपने दाहिने हाथ में उनके लिए धर्म-शास्त्र उठाए हुए होता है। किसी भीइस्राईली का जिसमें ईसा मसीह भी सम्मिलित हैं 'फारान'से कोई संबंध नहीं है। 'हाजर'अपने बेटे 'इस्माईल'के साथ 'बीर-सबा'के मरूस्थल में घूमती रहीं और उन्हीं लोगोंने इसके बाद 'फारान'के रेगिस्तान में निवास ग्रहण किया। (जिनेसिस –उत्पत्ति-अध्यायः२१वाक्यः२१)

इसमाईल अलैहिस्सलाम की माँ ने एक मिस्री औरत से उनकी शादी करदी, और उनके पहले बेटे 'क़ीदार' की नस्ल से 'अदनान' पैदा हुए जिनके वंश से वह अरबलोग हैं जिन्हों ने उसी समय से 'फारान' के मरूभूमि में निवास ग्रहण किया और उसेअपना निवास स्थान बना लिया। तो जब मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम जैसाकि सब जानते हैं 'इस्माईल॔अलैहिस्सलाम और उनके बेटे क़ीदार (अदनान) की नस्ल से हैं, फिर इसके बाद आप फारानमरूभूमि में प्रकट हुए, फिर दस हज़ार पवित्र लोगों (मुसलमानों) के साथ मक्का मेंप्रवेश किए और अपनी जनता के पास प्रज्वलित (धर्म-शास्त्र) शरीअत लेकर आए। क्या यहवही पीछे उल्लेख की गई भविष्वाणी (पेशीनगोई )नहीं है जो हरफ ब हरफ (यथाशब्द) पूरीहुई है??...

तथा वह भविष्यवणी जो (हबक़ूक़ नबी) लेकर आए वह विशेष रूप सेविचार करने और ध्यान देने के योग्य है, और वह यह हैः "क़ुद्दुस फारान पहाड़ से। उसकेजलाल ने आसमानों को ढाँप लिया और धरती उसकी प्रशंसा, सराहना और पाकी से भर गई"।

यहाँ पर "सराहना" का शब्द बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि "मुहम्मद" नाम का शाब्दिक अर्थहोता है "जिसकी सराहना कि गई हो"। इस से बढ़ कर बात यह है कि अरब के लोग जो कि'फारान'मरूस्थल के वासी हैं, उनसे भी वहय के उतरने का वादा किया गया थाः "मरूभूमिऔर उनके नगरों उन जगहों पर अपनी आवाज़ बुलंद करो जहाँ क़ीदार (अदनान) ने निवास किया, "साले" के निवासियो पहाड़ों की चोटियों के ऊपर से गाओ और ऊँची आवाज़ में चिल्लाओ, रब (पालनहार) की प्रतिष्ठा का वर्णन करो और उसकी पाकी और प्रांसा को द्वीपों मेंफैलाओ, रब एक शक्तिमान व्यक्ति के समान बाहर निकलेगा और एक जंगजू योद्धा)के समानअपनी ग़ैरत को उभारेगा, वह पुकारेगा और ज़ोर से ललकारेगा और अपने दुश्मनो पराजित करेगा

   (यशायाह ४२:११-१३)

इस विषय से संबंधितदो अन्य भविष्यवाणियाँ भी हैं जोध्यान देने के योग्य हैं जिन में क़ीदार (अदनान) के चर्चा का संकेत आया है, पहलीभविष्यवाणी यशायाह के अध्यायः ६० में है जो इस प्रकार हैः "तू उठ जाग और जगमगा!क्योंकि तेरा प्रकाश आ रहा है, और रब की महिमा तेरे ऊपर चमकेगी ... मिद्दान और एपा देशों के ऊँटों के झुण्ड तेरी धरती को ढक लेंगे। शिबा के देश से ऊँटों की लम्बीपंक्तियाँ तेरे यहाँ आयेंगी। ... क़ेदार की सारी भेड़ें तेरे पास इकटठी होजायेंगी, नबायोत के मेढ़े तेरी सेवा में लाए जायेंगेगे और मेरी वेदी -क़ुबार्न गाह-पर स्वीकार करने के लायक़ बलियाँ बनेंगे और मैं अपने अदभूत मन्दिर और अधिक सुंदरबनाऊँगा..."

 

इसी प्रकार दूसरीभविष्यवाणी भी यशायाह २१:१३-१७ में आई है, वह इसप्रकार हैः "अरब के लिए परमेश्वर का संदेश"। हे ददानी के क़ाफिले, तू रात अरब केमरूभूमि में कुछ वृक्षों के पास गुज़ार ले। कुछ प्यासे यात्र्यिों को पीने को पानीदो। तेमा के लोगो, उन लोगों को भोजन दो जो यात्र कर रहे हैं। वे लोग ऎसी तलवारों सेभाग रहे थे जो उन को मारने को तत्पर थे। वे लोग उन धनुषों से बचकर भाग रहे थे जोउन पर छूटने के लिए तने हुए थे। वे भषण लड़ाई से भाग रहे थे। मेरे स्वामी नेमुझे बताया था की ऎसी बातें घटेंगी। "एक वर्ष में (एक ऎसा ढँग जिससे मज़दूरकिराये का समय गिनता हैं।) क़ेदार का वैभव नष्ट हो जायेगा। उस समय क़ेदार के थोड़ेसे धनुषधारी, प्रतापी सैनिक ही जीवित बच पायेंगे।"

यशायाह की इन भविष्यवाणियों को तौरात की एक पुस्तक "व्यवस्था विवरण" (३३:२) को सामने रख कर पढि़ए जो "पारान सेअल्लाह –परमेश्वर- के प्रकाश के चमकने"के संबंध में वार्तालाप करता है।

जब इस्माईलअलैहिस्सलाम ने 'पारान' के मरूस्थल में निवास किया, जहाँ उनके घर क़ेदार (अदनान) नेजन्म लिया जो कि अरब के सर्वोच्च पूर्वज हैं। और अगर क़ेदार के संतान पर यह लिखदिया गया था कि उनके पास अल्लाह की ओर से वही (ईश्वाणी) आएगी। और केदार के रेवड़ कोपवित्र वेदी पर बलि दिये जाने को स्वीकार करना था, परमेश्वर के  प्रतिष्ठा के  घर कोवैभव प्रदान करने के लिए। जहाँ कई शताब्दियों तक अँधकार छाया रहा था और फिर उसीधरती को अल्लाह के प्रकाश को स्वीकार करना था। और अगर केदार को प्राप्त होने वालायह सारा वैभव और धनुषधारियों की यह संख्या और इसी प्रकार केदार की संतान केबहादुरों के सारे वैभव - इन सारी चीज़ों को लटकती हुई तलवार और तनी हुई कमान केसामने से भागने के एक वर्ष के बीच ही नष्ट हो जाना था तो प्रश्न यह है कि क्या इसबात से 'पारान'के एक व्यक्ति 'मुहम्मद' के अतिरिक्त कोई और मुराद हो सकता है?! (हबक़ूक़ ३:३)

मुहम्मदसल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम इस्माईल –अलैहिस्सलाम- के वंश सेहैं और क़ेदार (अदनान) की संतान से आप उनके बेटे हैं जिसने 'पारान'के मरूस्थल मेंस्थाई निवास ग्रहण किया। और मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ही वह एक मात्र  पैग़म्बर हैं जिनके द्वारा अरब ने अल्लाह का संदेश प्राप्त किया, जिस समय धरती परअन्धकार छाया हुआ था। और आपके के द्वारा ही 'पारान' में अल्लाह के प्रकाश की किरणेंचमकीं। और मक्का ही वह एक मात्र नगर है जहाँ परमेश्वर के घर में उसके नाम काआदर और वैभव हुआ। "और इसी प्रकार केदार के रेवड़ अल्लाह के घर की वेदी पर आकरस्वीकार किए जाने लगे।" मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को आपकी क़ौम ने सतायाऔर आप पर अत्याचार किया। चुनांचे आप मक्का छोड़ने पर विवश हो गए, और आप को लटकतीहुई तलवारों और तनी हुई कमानों से भागने के दौरान प्यास लगी। और आपके भागने के एकसाल बाद ही बद्र के युद्ध में क़ेदार के पोतों (संतान) से आप की मुठभेड़ हुई। यही वहस्थान है जहाँ मक्का वालों और पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के बीच पहलीलड़ाई हुई। और इस के बाद ही केदार के पोते (जो कि धनुषधारी थे) पराजित हो गये। फिरकेदार का सारा वैभव नष्ट हो गया। इस लिए अगर पवित्र ईश्दूत (मुहम्मदसल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम)को वह्य (परमेश्वरका संदेश) स्वीकारने वाला और इन सारी पेशीनगोईयों (भविश्यवाणियों) को सच्चा कर दिखानेवाला नहीं समझा जाता है तो इसका अर्थ यह होता है कि यह भविष्यवाणियाँ अभी तक सच्चीघटित नहीं हुई हैं? ... इसी प्रकार रब (परमेश्वर) का घर जिसमें उसकी प्रतिष्ठा औरमहिमा का चर्चा किया जायेगा, और जिसकी ओर यशायाह (६०:७) में संकेत किया गया है, वहमक्का में अल्लाह का पवित्र घर है, उस से तात्पर्य मसीह का गिरजाघर नहीं है जैसाकि ईसाई भाष्यकारों का मानना है। और केदार की भेड़ें जैसा कि आयत (७ )में उल्लिखितहै, कभी भी मसीह के गिरजाघर में नहीं आईं। और वास्तविकता यह है कि केदार के गावोंऔर उनके वासी ही इस संसार में एक मात्र लोग हैं जो कभी भी मसीही गिरजाघर की किसी शिक्षा से प्रभावित नहीं हुए हैं।

इसी प्रकार तौरातके व्यवस्था विश्वरण (अध्यायः३३)में दस हज़ार (१०,०००) सन्तों का उल्लेख महत्वपूर्ण अर्थ रखता है। "अल्लाह की ज्योतिपारान पर्वत से प्रकाशित हुई और उसके साथ दस हज़ार पवित्र लोग आए।" अगर आप पारानकी मरूभूमि से संबंधित सारा इतिहास पढ़ जायें तो आप को इसके अतिरिक्त कोई और घटनानहीं मिलेगी कि जब पैग़म्बर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने मक्का को पराजितकिया तो मदीना नगर के अपने दस हज़ार अनुयायियों के साथ प्रवेश हुए और दोबारा अल्लाहके घर में लौट कर आए। आप के दाहिने हाथ में वह शरीअत (धर्म-शास्त्र) थी जिसने सारीशरीअतों (धर्म शास्त्रों) को राख का ढेर बना दिया। तथा 'मार्गदर्शक'और 'सत्य-आत्मा'जिसकी मसीह ने शुभ सूचना दी थी वह स्वयं मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम केअतिरिक्त कोई और नहीं है। यह सम्भव नहीं है कि हम उसे 'रूहुल-कुदुस' (पवित्र आत्मा) समझें जैसा कि कलीसाई धामिर्क सिद्धान्तों (चर्च) का मानना है। क्योंकि मसीह का कहनाहैः

"तुम्हारे लिए यह उचित है कि मैं दूर चला जाऊँ, इसलिए कि अगर मैं दूर नहींजाता हूँ तो "मार्गदर्शक" तुम्हारे पास नहीं आयेगा, किन्तु अगर मैं यहाँ सेप्रस्थान कर जाता हूँ तो उसे मैं तुम्हारे पास भेज दूँगा।"

इन शब्दों का स्पष्टअर्थ यही है कि 'मार्गदर्शक'का मसीह के पश्चात आना अनिवार्य था और यह कि जब मसीह नेयह बात कही तो वह उस समय उनके साथ नहीं था। क्या इससे हमें यह समझना चाहिये कि मसीहबिना पवित्र आत्मा (रूहुल-क़ुदस) के थे यदि पवित्र आत्मा (रूहुल- कु़दस) का आगमनमसीह के प्रस्थान पर निर्भर था? इसके अतिरिक्त जिस प्रकार मसीह ने उसका उल्लेखकिया है वह उसे एक मनुष्य बनाकर पेश करता है आत्मा नहीः "वह अपनी ओर से नहींबोलेगा, बल्कि जो कुछ वह सुनेगा वही लेगों पर दोहरा देगा।" तो क्या हमारे लिए यहसमझना आवशयक है कि अल्लाह और पवित्र आत्मा (रूहुल-कु़दस) दो अलग अस्तित्व हैं औरपवित्र आत्मा (रूहुल-क़ुदस)

अपनी ओर से भी बोलता है और जो कुछ अल्लाह से सुनताहै?

मसीह के शब्द स्पष्ट रूप से अल्लाह के भेजे हुए कुछ संदेशवाहकों की ओर संकेतकरते हैं। वह उसे सत्य आत्मा के नाम से पुकारते हैं और क़ुरआन भी मुहम्मदसल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के बारे में ठीक इसी प्रकार बात कहताहैः

 
"बल्किवह (पैग़म्बर मुहम्म्द) तो सत्य (सच्चा धर्म) लाये हैं और सब पैग़म्बरों को सच्चा जानतेहैं&#

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