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ग़ुलामों और नौकरों के साथ

Auther : डॉक्टर मुहम्मद अब्दुर्रहमान अल अरीफी
1954 2013/02/03 2024/04/25

हज़रत पैगंबर-उन पर ईश्वर की कृपा और सलाम हो-लोगों के दिलों को जीतने के लिए उचित विधि का प्रयोग करते थे l
जब हज़रत पैगंबर-उन पर ईश्वर की कृपा और सलाम हो-के चाचा की मृत्यु हो गई तो उनपर पर क़ुरैश की कठोरता और भी बढ़ गाई l
इसलिए वह ताईफ की ओर निकल पड़े और अपनी जनजाति की अन्यायों के ख़िलाफ सहायता और समर्थन के प्रयास में सक़ीफ़ के पास गए,    
उनसे उन्होंने यह आशा किया कि वह अल्लाह की ओर से उतरे हुए संदेश को स्वीकार करेंगे और उसे मानेंगे l
वह अकेले उनके पास चल दिए, जब ताइफ के पास पहुँच गए, पहले  सक़ीफ़ के तीन लोंगों के पास गए जो उनके नेता और मुख्य आदमी थे और तीनों भाई थे, अब्द यालैल, मासऊद और हबीब, यह सब के सब अम्र बिन उमैर  के बेटे थे l
हज़रत पैगंबर-उन पर ईश्वर की कृपा और सलाम हो-उन लोगों के साथ बैठ गए और उन्हें अल्लाह के भेजे हुए संदेश की ओर बुलाया l
अपने आगमन के कारण से उनको परिचित किया, और इस्लाम की  मदद करने और अपने ही लोगों की ओर से विरोध के ख़िलाफ समर्थन की मांग की l
उनमें से एक ने पवित्र काबा के कपड़े में अपने आप को लपेटते हुए कहा
यदि अल्लाह सच में तुम्हें भेजा है! यदि अल्लाह ने तुम को भेजा है! दूसरे ने कहा: किया अल्लाह को तुमको छोड़ कर कोई और भेजने के लिए नहीं मिला?
तीसरे ने तार्किक शैली में कहा:अल्लाह की क़सम में तो तुम से किसी आधार पर बात करनेवाला नहीं हूँ इसलिए कि यदि तुम सच में अल्लाह के पैगंबर हो जैसा तुम्हारा दावा हे, तो तुम्हारी बात टालना बहुत ख़तरनाक विषय है, और यदि तुम अल्लाह के बारे में झूठ बोल रहे हो, तो फिर मुझे तुम से बात करना किसी भी तरह उचित नहीं है l
जब उन्होंने उनका दुष्ट उत्तर सुना तो वहां से निकलने के लिए खड़े हो गए और सक़ीफ़ की भलाई से बहुत निराश हो गए l  
उन्हें यह भी डर लगा हुआ था कि कहीं क़ुरैश को उनके साथ हुए सक़ीफ़ की कहानी का पता न चल जाए और फिर वह अपनी कठोरता को और बढ़ाने पर न तुल जाएं l
इसलिए उन्होंनें उनसे कहा: यदि तुम ने मेरे साथ इस प्रकार का व्यवहार किया तो कृपया आप इसे गुप्त रखिए l
वे उसको अनसुनी कर दिए और अपने मूर्ख, बदमाशों और ग़ुलामों को उनके पीछे ललकार दीये और वे उनहें गालीगलौज करने लगे और उनके पीछे पीछे चीख़ने चिल्लाने लगे l 
यह देखकर लोग वहां एकठ्ठा हो गए और उनका पीछा करते करते  उत्बा-बिन-रबीअह और शैबह-बिन-रबीअह के खेत तक पहुंचा दिया, उत्बा-बिन-रबीअह और शैबह-बिन-रबीअह दोनों वहां उपस्तिथ थे इतने में सक़ीफ़ के मुर्ख लोग जो उनके पीछे पीछे दोङ रहे थे उनको छोड़कर वापस हो गए l इस के बाद वह अंगूर की बेलों की छतरी के नीचे आए और वहां बैठ गए l
रबीअह  के दोनों बेटे उनको देख रहे थे और ताइफ वाले मुर्खों के हाथों उनको जो दर्दनाक संकटें पहुँच रही थी उसको भी वे दोनों अच्छी तरह  देख रहे थे l रबीअह के दोनों बेटे उत्बा और शैबह जब यह स्तिथि देखे तो उनदोनों के अंदर दयालुता के समुद्र उमंड पड़े l
उन दोनों ने अपने एक ईसाई सेवक को बुलया जिसका नाम अद्दास था और उसे कहा यह अंगूर का गुच्छा लो और  इस थाली में रखो  
और फिर उस आदमी के पास ले जाओ और उन्हें खाने के लिए बोलो, अद्दास ने ऐसा ही किया, और अंगूर लेकर उनके पास आया और हज़रत पैगंबर-उन पर ईश्वर की कृपा और सलाम हो-के सामने रख दिया और कहा कृपया खा इसे खा लीजिए, तो हज़रत पैगंबर-उन पर ईश्वर की कृपा और सलाम हो-अपना हाथ बढ़ाया और बिस्मिल्ला(अल्लाह के नाम से शुरू)पढ़ा फिर खाना शुरू किया, अद्दास ने उनकी ओर देखा और कहा :अल्लाह की क़सम यह दुआ यहाँ के लोग तो नहीं पढ़ते हैं l तो हज़रत पैगंबर-उन पर ईश्वर की कृपा और सलाम हो-ने उससे पूछा: हे अद्दास आप किस शहर से हैं? और आपका धर्म क्या है?  उस ने कहा: मैं एक ईसाई हूं l मैं नैनवा का रहने वाला हूँ l
हज़रत पैगंबर-उन पर ईश्वर की कृपा और सलाम हो-ने कहा: क्या आप उसी शुद्ध मनुष्य यूनुस-बिन मत्ता के गांव से हैं?
तो उसने पूछा: आपको यूनुस-बिन मत्ता के विषय में कैसे पता है?
हज़रत पैगंबर-उन पर ईश्वर की कृपा और सलाम हो-ने कहा: वह तो मेरे भाई हैं l वह एक पैगंबर थे और मैं भी एक पैगंबर हूँ l
तो अद्दास अल्लाह के पैगंबर-उन पर ईश्वर की कृपा और सलाम हो- के लिए झुक कर उनके सिर, हाथ और दोनों पैरों को चूमा, रबीआ के दोनों बेटे इस बात को देख रहे थे, उन में से एक ने दूसरे से कहा: उसने तुम्हारे इस नौकर को भी भ्रष्ट कर दिया है l
जब अद्दास अपने मालिक के पास वापस आया तो उसके ऊपर यह दिखाई दे रहा था कि वह हज़रत पैगंबर-उन पर ईश्वर की कृपा और सलाम हो-को देखकर और उनके शब्दों से काफ़ी प्रभावित हुआ है l
उसके मालिक ने उससे कहा: तुम्हारा भला हो, हे अद्दास! तुम इस आदमी के सिर, हाथ और दोनों पैरों को क्यों चूम रहे थे?
उस ने कहा: हे मेरे प्रिय मालिक! इस धरती पर उन से अधिक बेहतर कोई नहीं है ,उन्होंने मुझे एक बात से सूचित किया है जो केवल एक पैगंबर ही जान सकता है l
उसके मालिक ने कहा: तुम्हारा भला हो, हे अद्दास! कहीं यह तुमको तुम्हारे धर्म से न बहका दे, तुम्हारा धर्म तो उसके धर्म से अधिक शुद्ध है l अब हम को देखना यह है कि क्या हम अपने बर्ताव और शिष्टाचार को सभी के साथ इतना ऊँचा और इतना अच्छा बना सकते हैं चाहे उनकी सामाजिक स्थिति कैसी भी हो?
निचोड़:
मनुष्यों के साथ इस आधार पर बर्ताव कीजिए कि वे सब मनुष्य हैं, उनके धन, रंगरूप, पद , स्थिति और कामकाज और नौकरी-चाकरी को मत देखए l

 

 

 

 

 

 

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