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जिस वयक्ति की मृत्यु का गुमान हो उससे पुनर्जीवन उपकरण को कब हटाना जायज़ है

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1955 2013/05/30 2024/04/20

बहुत से डाक्टर चिकित्सकीय मृतक व्यक्ति से पुनर्जीवन उपकरण हटाने के वक़्त के बारे में संकोच करते हैं, और उस समय चिकित्सक के अंदर दो भावनायें संघर्ष कर रही होती हैं, एक तरफ वह यह सोचता है कि वह मौत से जूझ रहे व्यक्ति की यम पीड़ा को लम्बा कर रहा है, और यदि उसे उपकरण से हटा दे, तो वह अपनी मृत्यु के द्वारा आराम पा जायेगा। दूसरी तरफ वह इस बात से डरता है कि उपकरण को हटा देना इस व्यक्ति के जीवन को बरक़रार रखने के अवसर को समाप्त करने का कारण बन सकता है। तो नैदानिक मृत्यु वाले लोगों से पुनर्जीवन के उपकरणों को हटाना कब जायज़ है ?

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।

आदमी का धार्मिक दृष्टि से मृतक होना और उस पर मृत्यु के समय के निर्धारित सभी प्रावधानों का निष्कर्षित होना उस समय समझा जायेगा जब उसके अंदर निम्नलिखित दो लक्षणों में से कोई एक लक्षण पाया जाय :

प्रथम :

जब उसके दिल का काम करना और साँस लेना संपूर्ण रूप से बंद हो जाए, और डाक्टर लोग इस बात का फैसला करदें कि इसका बहाल होना संभव नहीं है।

दूसरा :

जब उसके मस्तिष्क के सभी कार्य पूरी तरह से काम करना बंद करदें, और अनुभवी विशेषज्ञ चिकित्सक इस बात का फैसला करदें कि इस विघटन का बहाल होना संभव नहीं है, और उसका दिमाग़ विघटित होने लगे।

तो ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति पर लगाये गए पुनर्जीवन के उपकरणों को हटाना जायज़ है, यद्यपि कुछ अंग उदाहरण स्वरूप दिल, उस पर लगाये गए उपकरणों की वजह से स्वचालित रूप से काम कर रहा हो।

इस्लामी फिक़्ह परिषद, पृष्ठ 36.
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