1. सामग्री
  2. लेख
  3. उम्मीद और डर

उम्मीद और डर

Under category : लेख
1908 2013/09/22 2024/12/07

एकेश्वरवाद का मानना इस बात को मानना है कि अल्लाह अत्यन्त दयावान है, माफ़ करनेवाला है, मगर न्याय और इन्साफ़ करनेवाला और कठोर सज़ा देने वाला भी है। यह बात इन्सान को उम्मीद और डर के बीच रखती है, क्योंकि अगर केवल उम्मीद ही उम्मीद हो, तो इन्सान ढीठ हो सकता है और बेझिझक गुनाह कर सकता है, लेकिन अगर केवल डर ही डर हो तो इन्सान निराशा का शिकार हो सकता है।
उम्मीद और डर के बीच वाली स्थिति उमर (रज़ियल्लाहु अन्हु) के कथन से पूरी तरह स्पष्ट हो जाती है, जिसमें उन्होंने कहा है—

‘‘अगर आसमान से आवाज़ आए कि एक आदमी दुनिया में से नरक में जाएगा, तो मैं समझूंगा कि वह मैं हूं और अगर आसमान से आवाज़ आए कि एक आदमी दुनिया में से स्वर्ग में जाएगा, तो मैं समझूंगा कि वह मैं हूं।’’

Previous article Next article
पैगंबर हज़रत मुहम्मद के समर्थन की वेबसाइटIt's a beautiful day