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फोटो एल्बम
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(19) मेरी सुन्नत को मज़बूती से पकड़े रहो।
ह़ज़रत इ़र्बाज़ बिन सारिया (अल्लाह उनसे राज़ी हो) से रिवायत है वह कहते हैं कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम) ने एक दिन हमें नमाज़ पढ़ाई, फिर हमारी ओर मुड़े और हमें बहुत ही अच्छी नसीहत की, जिसके कारण लोग रोने लगे और (अल्लाह के डर से भयभीत हो गए) और दिल धड़क उठे। तो एक व्यक्ति ने कहाः ऐ अल ... अन्य
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(18) जहाँ कहीं भी रहो अल्लाह से डरो।
ह़ज़रत अबु ज़र जुन्दुब बिन जुनादह (अल्लाह उनसे राज़ी हो) अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम) से रिवायत करते हैं कि आपने फ़रमाया: जहाँ कहीं भी रहो अल्लाह से डरो। और बुराई के बाद अच्छाई (अवश्य) कर (जो उस बुराई को मिटादे), और लोगों के साथ अच्छा व्यवहार करो।" (अह़मद, तिरमिज़ी)यह वसियत अल्लाह के ... अन्य
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(17) अल्लाह से वैसे ही शर्म व ह़या करो जैसे कि उससे शर्म व ह़या करने का ह़क है।
ह़ज़रत अ़ब्दुल्लाह इब्ने मसऊ़द (अल्लाह उनसे राज़ी हो) से रिवायत है वह कहते हैं: अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम) ने फ़रमाया: अल्लाह से वैसे ही शर्म व ह़या करो जैसे कि उससे शर्म व ह़या करने का ह़क है। ह़ज़रत इब्ने मसऊ़द कहते हैं: "हमने कहा: ऐ अल्लाह के रसूल! हम अल्लाह से शर्म व ह़या करते है ... अन्य
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(16) आदमी अपने दोस्त के धर्म पर होता है।
ह़ज़रत अबु हुरैरा (अल्लाह उनसे राज़ी हो) से रिवायत है वह कहते हैं: अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम) ने फ़रमाया: "आदमी अपने दोस्त के धर्म पर होता है। तो तुम में से हर एक को यह देख लेना चाहिए कि वह किस से मिल-जुल रहा है। और मोअम्मिल से एक दुसरी रिवायत में है: "यह दे ... अन्य
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(15) ऊपर वाला (देने वाला) हाथ नीचे वाले (लेने वाले) हाथ से बेहतर है।
ह़ज़रत अबु उमामह अल बाहिली (अल्लाह उनसे राज़ी हो) से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम) ने फ़रमाया: ऐ आदम के बेटे! अगर तू अपनी ज़रूरत से बचा हुआ माल (अल्लाह के लिए) खर्च करेगा तो यह तेरे लिए बेहतर है। और अगर उसे रोके रखेगा तो यह तेरे लिए बुरा है, और अपनी ज़रूरत भर माल रोकने पर त ... अन्य
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(14) अल्लाह ने तुम पर ह़ज अनिवार्य (फ़र्ज़) कर दिया है। तो तुम ह़ज करो।
हज़रत अबू हुरैरा (अल्लाह उन से प्रसन्न हो) से रिवायत है वह कहते हैं: अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम) ने हमें भाषण देते हुए फ़रमाया: ऐ लोगों! अल्लाह ने तुम पर ह़ज अनिवार्य (फ़र्ज़) कर दिया है। तो तुम ह़ज करो। तो एक व्यक्ति ने कहा :ऐ अल्लाह के रसूल! क्या हर साल ह़ज अनिवार्य (फ़र्ज़) है? तो ... अन्य
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(13) दुनिया के प्रति बेपरवाह हो जाओ। अल्लाह तुम से मोहब्बत करेगा।
ह़ज़रत अबुल अ़ब्बास सहल बिन सअ़द अल साअ़दी (अल्लाह उनसे राज़ी हो)से उल्लेख है, वह कहते हैं:एक व्यक्ति नबी (सल्लल्ललाहु अ़लैहि वसल्लम)के पास आया और कहा: ऐ अल्लाह के रसूल! मुझे कोई ऐसा काम बताइए जब मैं उसे करूं तो अल्लाह मुझसे मोहब्बत करे और लोग (भी)मुझसे प्यार करें, तो नबी (सल्लल्ललाहु अ़लैहि वसल ... अन्य
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(12) मुसलमान मुसलमान का भाई है।
हज़रत अबू हुरैरा (अल्लाह उन से प्रसन्न हो) से रिवायत है वह कहते हैं: अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम) ने फरमाया: "आपस में एक दुसरे से हसद न करो। एक दुसरे पर बोली न बढ़ाओ। (किसी को फ़साने के लिए अधिक मूल्य लगाना।) एक दुसरे से द्वेष (नफ़रत व बुगज़) न करो। एक दुसरे से मुंह न फेरो। (एक दुसरे से ... अन्य
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(11) गुस्सा न करो। (यानी क्रोधित मत हो।)
हज़रत अबू हुरैरा (अल्लाह उन से प्रसन्न हो) से रिवायत है वह कहते है: एक व्यक्ति ने अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम) से कहा:"मुझे कोई वसियत (नसीह़त)करो। "तो नबी (सल्लल्ललाहु अ़लैहि वसल्लम) ने फरमाया: "गुस्सा न करो। (यानी क्रोधित मत हो।)" (बुखा़री)ह़ज़रत ह़ुमैद बिन अ़ब्दुर्रहमान नबी (सल्लल् ... अन्य
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(10) जो चीज़ तुम्हें शक में डाले उसे छोड़कर ऐसी चीज़ अपनाओ जो तुम्हें शक में न डाले।
ह़ज़रत ह़सन बिन अ़ली (अल्लाह उन दोनों से राज़ी हो)से रिवायत है वह कहते हैं कि मैंने अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम) से यह बात याद की: (उन्होनें फरमाया):"जो चीज़ तुम्हें शक में डाले उसे छोड़कर ऐसी चीज़ अपनाओ जो तुम्हें शक में न डाले। क्योंकि सच्चाई संतुष्टी है और झूठ शक (और बैचेनी) ह ... अन्य
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(9) (सत्यनिष्ठा और धार्मिकता पर) सुदृढ़ और जमे रहो भले आप सभी अच्छे कार्यों को नहीं कर सकते।
ह़ज़रत स़ोबान (अल्लाह उनसे राज़ी हो ) से रिवायत है वह कहते हैं: अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम) ने फरमाया: (सत्यनिष्ठा और धार्मिकता पर) सुदृढ़ और जमे रहो भले आप सभी अच्छे कार्य नहीं कर सकते। जानिए कि आपके कर्मों में सबसे अच्छी चीज़ नमाज़ है और केवल मोमिन व्यक्ति ही हमेशा वुज़ू की सुरक्षा ... अन्य
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( 8 ) अल्लाह ने हर चीज़ पर एहसान(दया) को अनिवार्य व फर्ज़ किया है।
ह़ज़रत अबु यअ़ला शद्दाद बिन औ़स (अल्लाह उनसे राज़ी हो) से रिवायत है वह अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम) से रिवायत करते हैं कि उन्होंने फरमाया:"अल्लाह ने हर चीज़ पर एहसान (दया) को अनिवार्य व फर्ज़ किया है। अतः जब तुम (बदले में या जिसे क़त्ल करना जायज़ हो उसे) क़त्ल करो, तो ठीक तरीक़े से क़त ... अन्य