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फोटो एल्बम
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(27) तुम में से कोई भी किसी भी अच्छाई (व भलाई) को कम न समझे।
ह़ज़रत अबु ज़र गि़फ़ारी (अल्लाह उनसे राज़ी हो) से रिवायत है वह कहते हैं: अल्लाह के रसूल -सल्लल्ललाहु अ़लैहि वसल्लम- ने फ़रमाया: "तुम में से कोई भी किसी भी अच्छाई (व भलाई) को कम ना समझे, अगर उसके पास कुछ ना हो, तो वह अपने (इस्लामी) भाई से मुस्कान भरे चेहरे के साथ मिले, और अगर तुम गोश्त खरीदो या हांडी ... अन्य
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(26) रास्तों पर बैठने से बचो।
ह़ज़रत अबु सई़द ख़ुदरी (अल्लाह उनसे राज़ी हो) से रिवायत है वह कहते हैं कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम) ने फ़रमाया: "रास्तों पर बैठने से बचो।" तो लोगों ने कहा: ऐ अल्लाह के रसूल! हमारी वहाँ अपनी मजलिसों के लिए बैंठना मजबूरी है, वहां बैठकर हम बातें करते हैं। (और उनके अलावा कोई जगह न ... अन्य
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(25) (दुसरों को) जगह दो अल्लाह तुम्हें (जन्नत व स्वर्ग में) जगह देगा।
ह़ज़रत अ़ब्दुल्लाह बिन उ़मर -अल्लाह उनसे राज़ी हो- से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम) ने फ़रमाया: तुम में से को भी किसी को उसकी जगह से उठाकर उसकी जगह ना बैठे, बल्कि तुम्हें एक दुसरे के लिए कुशादगी पैदा करना चाहिए और स्थान व जगह देना चाहिए, अल्लाह तुम्हें (जन्नत व स्वर्ग में) ... अन्य
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(24 ) तुम अपनी फिफ्र करो।
ह़ज़रत अबु उमामह शअ़बानी से रिवायत है वह कहते हैं कि मैंने अबु स़अलबा खु़शनी से पूछा: عَلَيْكُمْ أَنفُسَكُمْ (तुम अपनी फिफ्र करो।) इस आयत के बारे में तुम क्या कहते हो? तो उन्होंने कहा: अल्लाह की क़सम तुमने इसके बारे में एक अच्छे जानने वाले व्यक्ति से पूछा है। मैंने अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अ ... अन्य
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(23) तुम में से जो भी बुराई को देखे तो वह उसे बदले। (यानी उसे रोके और खत्म करे।)
ह़ज़रत अबु सअ़द अल ख़ुदरी -अल्लाह उनसे राज़ी हो- से रिवायत है वह कहते हैं कि मैंने अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम) को यह कहते हुए सुना: "तुम में से जो भी बुराई को देखे तो वह उसे अपने हाथ से बदले। (यानी उसे रोके और खत्म करे।) अगर (हाथ से) नहीं कर सकता तो ज़बान से, अगर (ज़बान से भी) नहीं क ... अन्य
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(22) लालच से बचो।
ह़ज़रत अ़ब्दुल्लाह बिन उ़मर -अल्लाह उनसे राज़ी हो- से रिवायत है वह कहते हैं: अल्लाह के रसूल -सल्लल्ललाहु अ़लैहि व सल्लम- ने भाषण देते हुए कहा: "लालच से बचो। क्योंकि तूमसे पहले के लोगों को लालच ही ने नष्ट (हलाक) किया था। उस (लालच) ने उन्हें कंजूसी का आदेश दिया तो वे कंजूस हो गए। उसने उन्हें रिश्तेदार ... अन्य
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(21) जो भी लोगों को नमाज़ पढ़ाए तो वह नमाज़ छोटी पढ़ाए।
ह़ज़रत अबु मसऊ़द अनसारी (अल्लाह उनसे राज़ी हो) से रिवायत है वह कहते हैं: एक व्यक्ति अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम) के पास आया और कहा: (ऐ अल्लाह के रसूल) फलां व्यक्ति के लम्बी नमाज़ पढ़ाने के कारण मैं सुबह (फज्र) की नमाज़ बाद में पढ़ता हूं। (अबु मसऊ़द कहते हैं:) उस दिन पैगंबर (सल्लल्लाहु ... अन्य
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(20) रह़म (दया) करने वालों पर सबसे ज़्यादा रह़म करने वाला (अल्लाह) रह़म करता है।
ह़ज़रत अ़ब्दुल्लाह बिन अ़म्र (अल्लाह उनसे राज़ी हो) से रिवायत है वह कहते हैं: अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम) ने फ़रमाया: रह़म (दया) करने वालों पर सबसे ज़्यादा रह़म करने वाला (अल्लाह) रह़म करता है। जो ज़मीन पर हैं तुम उन पर दया करो, जो असमान में है (यानी जिसकी क़ुदरत आसमानों में भी है) वह ... अन्य
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(19) मेरी सुन्नत को मज़बूती से पकड़े रहो।
ह़ज़रत इ़र्बाज़ बिन सारिया (अल्लाह उनसे राज़ी हो) से रिवायत है वह कहते हैं कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम) ने एक दिन हमें नमाज़ पढ़ाई, फिर हमारी ओर मुड़े और हमें बहुत ही अच्छी नसीहत की, जिसके कारण लोग रोने लगे और (अल्लाह के डर से भयभीत हो गए) और दिल धड़क उठे। तो एक व्यक्ति ने कहाः ऐ अल ... अन्य
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(18) जहाँ कहीं भी रहो अल्लाह से डरो।
ह़ज़रत अबु ज़र जुन्दुब बिन जुनादह (अल्लाह उनसे राज़ी हो) अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम) से रिवायत करते हैं कि आपने फ़रमाया: जहाँ कहीं भी रहो अल्लाह से डरो। और बुराई के बाद अच्छाई (अवश्य) कर (जो उस बुराई को मिटादे), और लोगों के साथ अच्छा व्यवहार करो।" (अह़मद, तिरमिज़ी)यह वसियत अल्लाह के ... अन्य
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(17) अल्लाह से वैसे ही शर्म व ह़या करो जैसे कि उससे शर्म व ह़या करने का ह़क है।
ह़ज़रत अ़ब्दुल्लाह इब्ने मसऊ़द (अल्लाह उनसे राज़ी हो) से रिवायत है वह कहते हैं: अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम) ने फ़रमाया: अल्लाह से वैसे ही शर्म व ह़या करो जैसे कि उससे शर्म व ह़या करने का ह़क है। ह़ज़रत इब्ने मसऊ़द कहते हैं: "हमने कहा: ऐ अल्लाह के रसूल! हम अल्लाह से शर्म व ह़या करते है ... अन्य
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(16) आदमी अपने दोस्त के धर्म पर होता है।
ह़ज़रत अबु हुरैरा (अल्लाह उनसे राज़ी हो) से रिवायत है वह कहते हैं: अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम) ने फ़रमाया: "आदमी अपने दोस्त के धर्म पर होता है। तो तुम में से हर एक को यह देख लेना चाहिए कि वह किस से मिल-जुल रहा है। और मोअम्मिल से एक दुसरी रिवायत में है: "यह दे ... अन्य