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फोटो एल्बम
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(144) अल्लाह ने मुझे वह़ी फरमाई (संदेश भेजा) कि तुम लोग इनकिसारी (खाकसारी, विनम्रता, विनयशीलता) अपनाओ।
عَنْ عِيَاضِ بْنِ حِمَارٍ– رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُ – أَنَّ رَسُولُ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ قَالَ: "إِنَّ اللَّهَ أَوْحَى إِلَيَّ أَنْ تَوَاضَعُوا حَتَّى لَا يَبْغِيَ أَحَدٌ عَلَى أَحَدٍ وَلَا يَفْخَرَ أَحَدٌ عَلَى أَحَدٍ". तर्जुमा: ह़ज़रत इ़याज़ बिन ह़िमार रद़ियल्लाहु अ़न्हु बयान कर ... अन्य
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(143) सात तबाह करने वाले गुनाहों से बचो।
عَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُ عَنْ النَّبِيِّ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ قَالَ: "اجْتَنِبُوا السَّبْعَ الْمُوبِقَاتِ" قَالُوا: يَا رَسُولَ اللَّهِ! وَمَا هُنَّ، قَالَ: " الشِّرْكُ بِاللَّهِ وَالسِّحْرُ وَقَتْلُ النَّفْسِ الَّتِي حَرَّمَ اللَّهُ إِلَّا بِالْحَقِّ وَأَكْلُ الرِّبَ ... अन्य
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(142) अल्लाह के ज़िक्र के अलावा बहुत ज़्यादा बोलने से बचो।
عَنْ عَبْدِ اللَّهِ بْنِ عُمَرَ– رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُمَا أَنَّ رَسُولُ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ قَالَ: "لَا تُكْثِرُوا الْكَلَامَ بِغَيْرِ ذِكْرِ اللَّهِ؛ فَإِنَّ كَثْرَةَالْكَلَامِ بِغَيْرِ ذِكْرِ اللَّهِ تَعَالَى قَسْوَةٌ لِلْقَلْبِ، وَإِنَّ أَبْعَدَ النَّاسِ مِنْ اللَّهِ الْقَلْ ... अन्य
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(141) जिसने भी अपने किसी भाई पर अत्याचार किया हो (या उसका अधिकार मारा हो) तो उसे चाहिए कि उससे (इस दुनिया में ही) माफ कराले।
عَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ – رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُ – أَنَّ رَسُولَ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ قَالَ: "مَنْ كَانَتْ عِنْدَهُ مَظْلِمَةٌ لِأَخِيهِ فَلْيَتَحَلَّلْهُ مِنْهَا؛ فَإِنَّهُ لَيْسَ ثَمَّ دِينَارٌ وَلَا دِرْهَمٌ مِنْ قَبْلِ أَنْ يُؤْخَذَ لِأَخِيهِ مِنْ حَسَنَاتِهِ، فَإِنْ لَمْ يَكُن ... अन्य
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(140) अपने आप को बद्दुआ (शाप) न दो।
عَنْ جَابِرِ – رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُ – أَنَّ رَسُولُ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ قَالَ: "لَا تَدْعُوا عَلَى أَنْفُسِكُمْ وَلَا تَدْعُوا عَلَى أَوْلَادِكُمْ، وَلَا تَدْعُوا عَلَى أَمْوَالِكُمْ، لَا تُوَافِقُوا مِنْ اللَّهِ تَبَارَكَ وَتَعَالَى سَاعَةَ يُسأَلُ فِيهَا عَطَاءٌ فَيَسْ ... अन्य
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(139) गुस्सा शैतान से है।
عَنْ أَبِي ذَرٍّ – رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُ – قَالَ: إِنَّ رَسُولَ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ قَالَ لَنَا: "إِذَا غَضِبَ أَحَدُكُمْ وَهُوَ قَائِمٌ فَلْيَجْلِسْ، فَإِنْ ذَهَبَ عَنْهُ الْغَضَبُ وَإِلَّا فَلْيَضْطَجِعْ". तर्जुमा: ह़ज़रत अबू ज़र रद़ियल्लाहु अ़न्हु बयान करते हैं कि अल्लाह के ... अन्य
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(138) उसे शहद पिलाओ।
عَنْ أَبِي سَعِيدٍ – رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُ – أَنَّ رَجُلًا أَتَى النَّبِيَّ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ فَقَالَ: أَخِي يَشْتَكِي بَطْنَهُ، فَقَالَ: "اسْقِهِ عَسَلًا"، ثُمَّ أَتَى الثَّانِيَةَ فَقَالَ: "اسْقِهِ عَسَلًا" ثُمَّ أَتَاهُ الثَّالِثَةَ فَقَالَ: "اسْقِهِ عَسَلًا"، ثُمَّ أَتَاهُ فَقَال ... अन्य
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(137) सोदा बेचते समय ज़्यादा कसमें न खाया करो।
عَنْ أَبِي قَتَادَةَ الْأَنْصَارِيِّ، أَنَّهُ سَمِعَ رَسُولَ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ يَقُولُ: "إِيَّاكُمْ وَكَثْرَةَ الْحَلِفِ فِي الْبَيْعِ، فَإِنَّهُ يُنَفِّقُ ثُمَّ يَمْحَقُ". तर्जुमा: ह़ज़रत अबू क़तादह अंसारी बयान करते हैं कि उन्होंने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम को ... अन्य
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(136) नर्मी (कोमलता) से काम लो।
عَنْ شُرَيْحِ بْنِ هَانِئٍ – رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُمَا – قَالَ: رَكِبَتْ عَائِشَةُ زَوْجِ النَّبِيِّ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ بَعِيرًا فَكَانَتْ فِيهِ صُعُوبَةٌ فَجَعَلَتْ تُرَدِّدُهُ فَقَالَ لَهَا رَسُولُ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ : "عَلَيْكِ بِالرِّفْقِ فَإِنَّ الرِّف ... अन्य
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(30) तुम में से कोई जब किसी ऐसे व्यक्ति को देखे जो माल व दौलत (धन) और खू़बसूरती (सुन्दरता) में उससे ज़्यादा हो, तो वह अपने से नीचे वाले को (भी) देखे।
ह़ज़रत अबु हुरैरा -अल्लाह उनसे राज़ी हो- अल्लाह के रसूल सल्लल्ललाहु अ़लैहि व सल्लम से रिवायत करते हैं कि आपने फ़रमाया: " तुम में से कोई जब किसी ऐसे व्यक्ति को देखे जो माल व दौलत (धन) और खू़बसूरती (सुन्दरता) में उससे ज़्यादा हो, तो वह अपने से नीचे वाले को (भी) देखे जिससे वह (स्वयं) (दौलत और ख़ूबसूरती ... अन्य
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(29) तुम्हें क़ुरआन खूब ज़्यादा पढ़ते रहना चाहिए।
ह़ज़रत अबु मूसा अशअ़री -अल्लाह उनसे राज़ी हो- से रिवायत है वह कहते हैं: अल्लाह के रसूल -सल्लल्ललाहु अ़लैहि व सल्लम- ने फ़रमाया: तुम्हें क़ुरआन खूब ज़्यादा पढ़ते रहना चाहिए, क्योंकि वह लोगों के दिलों में से बंधे हुए ऊंट से ज़्यादा तेज़ी से निकल जाता है। पवित्र क़ुरआन हिदायत की किताब है। उसमें ज़िन्द ... अन्य
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(28) जो लोगों के पास (माल व दौलत) है उसकी इच्छा मत रखो।
ह़ज़रत सअ़द बिन अबी वक़्क़ास -अल्लाह उनसे राज़ी हो- से रिवायत है कि एक व्यक्ति ने कहा: ऐ अल्लाह के रसूल, मुझे छोटी सी वसियत (नसीह़त) करो, तो अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम) ने फ़रमाया: जो लोगों के पास (माल व दौलत) है उसकी इच्छा मत रखो, क्योंकि वास्तव में यही (यानी इच्छा ना रखना) मालदारी ह ... अन्य