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मुखबंध
अल्लाह के नाम से शुरू करता हूँ और सारी प्रशंसाएं अल्लाह ही के लिए हैं। और अल्लाह की कृपा व शांति हो उसके रसूल मुह़म्मद सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम पर
मुहम्मद सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम उस महान व्यक्ति का नाम है जो 1400 साल पहले इस दुनिया में आए। और कहा कि उन्के पास आसमान से अल्लाह का संदेश (वह़ी) आता है। और उनहे यह हु़क्म् हुआ है कि वह इस संदेश को पूरी दुनिया के लोगों तक बिना किसी भेद-भाउ के पहुँचाएं। उनका संदेश (नबुव्वत व रिसालत) दुनिया के लिए अंतिम संदेश है, इसलिए आप अंतिम पैग़ंबर और अंतिम रसूल हैं, उनके बाद कोई पैग़ंबर और कोई नबी नहीं होगा।
वह कौन थे?
क्या वह आतंकवादी थे जैसा कि आज की मीडिया बताती है!? क्या वह एक बहादुर योद्धा थे जिसके पास एक विशाल सेना थी जिसके सहारे उन्होंनें अधिकांश लड़ाइयों में अपने दुश्मनों को पराजित किया?
कुछ ऐसी पुस्तकें जो मुहम्मद सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम के जीवन पर लिखी गई हैं वे केवल आपके जीवन के 25 वर्षों के बारे में ही बताती हैं, और यह वह चरण है, जहाँ से उनका सन्देश शुरू हुआ जिसने ब्रह्मांड का चेहरा बदल दिया और हर जगह फैल गया। और उनमें से भी कुछ में तो पैगंबर सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम के स़िर्फ़ राजनीतिक और सैन्य कौशल पर चर्चा की गई है, और अन्य दूसरी पुस्तकों में आपके जीवन के युद्ध या जिहादी पहलू से बह़स़ की है। लेकिन ज़्यादा तर लेखकों ने नबी सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम के जीवन के महत्वपूर्ण पहलू को छोड़ दिया है और वह है कि आप सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम का एक मानव के रूप में ग़ैर मुस्लिमों के साथ व्यवहार कैसा था।
हमने अपनी इस किताब में इसी विशय पर चर्चा करने की कोशिश की है। और हमें इसकी आवश्यकता उन आधारहीन शंकाओं और एतराज़ों के कारण महसूस हुई जो हाल ही में पवित्र पैग़ंबर सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम और इस्लाम धर्म के बारे में उठाए गए। लेकिन आईये हम निष्पक्ष होकर अपनी चर्चा शुरू करते हैं। यदि आप किसी व्यक्ति के प्रति कोई हु़क्म लगाना चाहते हैं तो आप निम्नलिखित बातों को सामने रखिए:
1- आप उसे स्वयं सुनिए।
2- उसके विचारों की तुलना व्यावहारिक बुद्धि के विचारों से करीए।
3- यदि आप उसके विचारों को स्वीकार करते हैं, तो उसके कर्मों को देखए, यदि उसके कर्म उसकी राय के अनुसार हैं, तो
4- फ़िर आपको उसकी बात पूर्ण रूप से मान लेनी चाहिए। यही बात पवित्र पैग़ंबर सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने कही है, वो फ़रमाते हैं.......बुद्धि ही बाध्यता का स्रोत है। जिसके पास बुद्धि नहीं है, वह बाध्य नहीं।
तो यह चार तार्किक तरीक़े हैं जिनकी मदद से ही आप पवित्र पैग़ंबर पर कोइ हु़क्म लगाएं। इसलिए आप निष्पक्ष होकर निम्नलिखित पन्नों को पढ़ेंगे तो अंत में आप ख़ुद ही इन अदभुत सवालों का उत्तर देंगें कि!
1- किया वास्तव में मोह़म्म्द सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम एक आतंकी थे?!
2- किया वास्तव में वह एक पैग़ंबर थे जैसा कि वह दावा करते थे!?
3- किया इस्लाम एक सच्चा धर्म है!?