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इसमें मुराद कहाँ मिली?
रसूले अकरम स़ल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम व की आ़दते करीमा थी कि आप सभी मामलों को बड़ी गहरी नज़र से देखते थे और दूर तक उनके परिणाम की जानकारी रखते थे और उन्हें सीधे नज़रये से देखते थे चुनांचे आपकी यह नज़र अपनी दअ़वा व तबलीग़ के भविष्य के लिए नेक फ़ाली (सौभाग्य) की नज़र और बुरी स़ुलबों (पीठों) से भलाई की नज़र थी। तो आप स़ल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम अपनी मुराद को पहुंचे। आपने जैसी इच्छा की वैसा ही हुआ और आपकी हर इच्छा पूरी हुई कि कुफ़्र और अत्याचार के सरदार वलीद बिन मूग़ीरा की स़ुल्ब (पीठ) से सैफ़ुल्लाह अल मसलूल ह़ज़रत ख़ालिद बिन वलीद रद़ियल्लाहू अ़न्हूअनहु ने जन्म लिया। और कुफ़्र व गुमराही के सरग़ना (बॉस) अबू जहल की स़ुल्ब (पीठ) से ह़ज़रत इ़करिमा रद़ियल्लाहू अ़न्हूअ़नहु पैदा हुए और इस प्रकार के बहुत से उदाहरण है हमारे सामने जो इतिहास में मौजूद हैं।
इसी तरह मदीना हिजरत करने के बाद वहां पर भी आप स़ल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने यहूदियों के अत्याचारों पर बहुत ज़्यादा स़ब्र किया।
इस विषय में इमाम बुखा़री सैयदा आ़इशा रज़ियल्लाहु अ़नहा से उल्लेख करते हैं: वह बयान करती हैं:
रसूलुल्लाह स़ल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम पर जादू कर दिया गया था। और उसका आप पर यह अस़र हुआ था कि आपको ख़्याल होता कि आप अपनी पत्नियों से हमबिस्तरी पर क़ादिर हैं लेकिन आप उस पर क़ादिर न होते। सुफियान कहते हैं कि यह सबसे गंभीर प्रकार का जादू है।
फिर आप स़ल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने फ़रमाया: आइशा! तुम्हें मालूम है कि अल्लाह तआ़ला से जो बात मैंने पूछी थी उसका जवाब उसने दे दिया है,?! मेरे पास दो फरिश्ते आए, एक मेरे सिर के पास खड़ा हो गया और दूसरा मेरे पांव के पास, जो फ़िरिश्ता मेरे सिर की ओर खड़ा था उसने दूसरे से कहा: इन साहब का क्या ह़ाल है? दूसरे ने जवाब दिया कि इन पर जादू कर दिया गया है। पूछा कि किस ने इन पर जादू किया है? जवाब दिया कि वलीद बिन आस़म -यह यहूदियों के ह़लीफ़ (सहयोगी) बनी ज़रीक़ का एक व्यक्ति था और मुनाफ़िक़ था- ने। सवाल किया कि किस वस्तु में उन पर जादू किया है? जवाब दिया कि एक कंघे और बाल में। पूछा जादू है कहां? जवाब दिया कि नर खजूर के ख़ूशे में जो ज़र्वान के कुएं के अंदर रखे हुए पत्थर के नीचे दफन है। हजरत आइशा का बयान है कि फिर हु़ज़ूर अकरम स़ल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम उस कूएँ पर तशरीफ ले गए और अंदर से जादू निकाला। फिर आप स़ल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि यही वह कुआं है जो मुझे ख़्वाब में दिखाया गया था। इसका पानी मेहंदी के रस जैसा रंगीन था। और उसके खजूर के दरख़्तों के सर शैतानों के सरों जैसे थे। बयान किया कि फिर वह जादू कूएँ में से निकाला गया। आइशा रद़ियल्लाहू तआला अ़न्हा ने बयान किया कि मैंने कहा: आपने उस जादू का तोड़ क्यों नहीं कराया? फ़रमाया: अल्लाह तआ़ला ने मुझे शिफ़ा दे दी(ठीक कर दिया) और मुझे यह पसंद नहीं कि मैं लोगों में इसकी बुराई फैलाऊं।
इस घटना मे नबी ए करीम स़ल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने अपने को तकलीफ देने वाले व्यक्ति को माफ़ करने की हमारे लिए एक महान उदाहरण पेश किया है जब तक कि वह तकलीफ़ और अत्याचार व्यक्तित्व रुप में हो और उसमें अल्लाह तआ़ला की किसी ह़ुरमत का उल्लंघन न हो।