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इसी तरह छींकने की सूरत में भी
इमाम अबू दाऊद अपनी सुनन में ह़ज़रत अबू बुर्दा वह अपने पिता से उल्लेख करते हैं : वह कहते हैं: यहूदी जानबूझकर नबी -ए- करीम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम के सामने छींकते थे यह सोचकर कि आप सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम उनसे कहेंगे: "यरहमुकुम अल्लाहु" यानि अल्लाह तआला तुम पर रह़म (दया) करे। लेकिन आप सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम कहते थे: "यहदीकुम अल्लाहु व युसलिह़ु बा-लकुम” (यानी, अल्लाह तआला तुम्हें हिदायत दे और तुम्हारी इस्लाह करे)। (4/310)
काफिरों और मुशरिकों के लिए हिदायत की प्रार्थना करना उनकी दिल जोई के लिए है, इमाम बुखारी ने इस संबंध में अपनी पुस्तक के अंदर "बाब: अद्दुआउ लिल-मुशरिकीन बिल-हुदा लि-यतअल्लफ़हुम" के नाम से एक अध्याय लिखा है और उसमें तुफैल बिन अमर दोसी से मरवी उपर वाली हदीस-ए-पाक नक़ल की है।