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अगर मुसलमान के सामने से गैर-मुस्लिम का जनाज़ा गुज़रे तो वह क्या करे?
इमाम बुखारी अपनी सहीह बुखारी में हज़रत जाबिर बिन अ़ब्दुल्लाह से बयान करते हैं कि हमारे पास से एक जनाज़ा गुजरा तो नबी ए करीम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम उसके लिए खड़े हो गए। तो हम भी आप सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम की वजह से खड़े हो गए। फिर हमने कहा: “अल्लाह के रसूल! यह तो एक यहूदी का जनाज़ा है? (तो आप खड़े क्यों हुए?)" तो नबी ए करीम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया:" जब तुम लोग जनाज़ा देखो तो खड़े हो जाया करो।"
इसी तरह इमाम बुखारी ने हज़रत अब्दुल रहमान बिन अबी लैला से एक और ह़दीस़ बयान की जिसमें उन्होंने कहा: सहल बिन हनीफ और क़ैस बिन सअ़द रद़ियल्लाहु अ़न्हुमा क़ादसिया में कहीं बैठे थे। इतने में कुछ लोग वहाँ से एक जनाज़ा लेकर गुज़रे तो ये दोनों बुजुर्ग खड़े हो गए। उन्हें बताया गया कि यह जनाज़ा तो यहीं के लोगों -यानी ज़िम्मियों- का है (जो काफिर हैं)। उस पर उन्होंने कहा कि नबी ए करीम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम के पास से इसी तरह एक जनाज़ा गुज़रा तो आप सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम उसके लिए खड़े हो गए। आपको बताया गया कि यह एक यहूदी का जनाज़ा था? तो आप सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया: "क्या यहूदी जान नहीं है?"